नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भ्रष्टाचार न केवल देश के विकास को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह सामाजिक संतुलन को तहस-नहस कर देता है।
श्री मोदी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा आयोजित ‘सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक राष्ट्रीय सम्मेलन’ को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनका ध्येय भारत को दुनिया की अग्रिम पंक्ति वाले देशों में लेकर जाने का है, लेकिन विकास के लिए प्रशासनिक व्यवस्थाओं में पारदर्शिता, जिम्मेदारी और जवाबदेही जरूरी है। उन्होंने कहा कि इन सभी व्यवस्थाओं का सबसे बड़ा शत्रु भ्रष्टाचार है।
श्री मोदी ने कहा, “एक तरफ भ्रष्टाचार से देश के विकास को ठेस पहुंचती है तो साथ ही भ्रष्टाचार सामाजिक संतुलन को तहस-नहस कर देता है। सबसे अहम, देश की व्यवस्था पर जो भरोसा होना चाहिए, एक अपनेपन का जो भाव होना चाहिए, भ्रष्टाचार उस भरोसे पर हमला करता है। इसलिए, भ्रष्टाचार का डटकर मुकाबला करना सिर्फ एक एजेंसी या संस्था का दायित्व नहीं, बल्कि इससे निपटना एक सामूहिक दायित्व है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में देश भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की दृढ़ इच्छाशक्ति के रुख के साथ आगे बढ़ा है और इसका परिणाम रहा है कि 2014 से अब तक देश की विभिन्न व्यवस्थाओं में और हरेक सेक्टर में सुधार हुए हैं। यह पूरा दौर बड़े सुधारों का रहा। उन्होंने कहा कि इन सुधारों का आधार बनाकर आज भारत, आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सफल बनाने में पूरी शक्ति से जुटा हुआ है।
श्री मोदी ने कहा कि इस सम्मेलन में सीबीआाई के साथ-साथ अन्य एजेंसियां हिस्सा ले रही हैं। एक तरह से इन तीन दिनों तक लगभग वे सभी एजेंसियां एक प्लेटफ़ार्म पर रहेंगी, जिनकी ‘सतर्क भारत समृद्ध भारत’ में बहुत बड़ी भूमिका है। ये तीन दिन हमारे लिए एक अवसर की तरह हैं।
श्री मोदी ने कहा कि देश की सतर्कता प्रणाली को मजबूत करने के लिए भी कई कानूनी सुधार किए गए, नए कानून लाये गए हैं। काले धन और बेनामी सम्पत्तियों पर देश ने जो कानून बनाए हैं, जो कदम उठाए हैं, आज उनका उदाहरण दुनिया के अन्य देशों में दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “लेकिन इन प्रयासों के बीच, हमें यह भी याद रखना है, भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान एक दिन या सिर्फ एक सप्ताह की जंग नहीं है।”