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संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किया जाए मोटर वाहन (संशोधन) बिल-2016

disel carनई दिल्ली,  पूरे भारत में सड़क सुरक्षा को लेकर कार्य कर रही प्रमुख एनजीओ और गैर सरकारी संगठन, मोटर वाहन (संशोधन) बिल, 2016 पर चर्चा के लिए दिल्ली में एकजुट हुए। इस दौरान इन संगठनों ने सरकार से बिल को और मजबूत बनाने और संसद के शीतकालीन-सत्र में पारित करने की अपील की।

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 9 अगस्त, 2016 को संसद में यह बिल पेश किया था। इसका उद्देश्य देश में सड़क सुरक्षा का संचालन करने वाले 28 वर्ष पुराने मोटर-वाहन अधिनियम, 1988 (एमवीए) में संशोधन करते हुए इसे अधिक से अधिक लाभकारी बनाना है। उस बिल को 16 अगस्त को परिवहन, पर्यटन व संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति (पीएसी) के पास समीक्षा व सिफारिश के लिए भेजा गया। दिल्ली में दो दिनों तक चले सम्मेलन में, संस्थानों ने संसद में सड़क सुरक्षा कानून को प्रस्तुत करने के सरकार के वादे की सरहाना की। इन संगठनों ने बिल के प्रावधानों पर चर्चा की और सर्वसम्मिति से यह विचार व्यक्त किया कि बिल को आगे ले जाने का उल्लेखनीय कार्य किया गया है। साथ ही इस दौरान उन्होंने इस ओर ध्यान दिलाया कि योजना में कई कमियां हैं, जिस पर अब भी ध्यान देने की जरूरत है। सम्मेलन में भाग लेने वाले संस्थानों में कंज्यूमर वॉयस (दिल्ली), सड़क सुरक्षा केंद्र- सरदार पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ पुलिस, सुरक्षा एवं आपराधिक न्याय (जयपुर), सिटीजन कंज्यूमर और सिविक एक्शन ग्रुप (चेन्नई), सीयूटीएस इंटरनेशनल (जयपुर), इंस्टटीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (बेंगलुरु), परिसर (पुणे) और सेफ लाइफ फाउंडेशन (दिल्ली) शामिल थे। सेफ लाइफ फाउंडेशन के संस्थापक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीयूष तिवारी ने कहा, मोटर वाहन (संशोधन) बिल, 2016 कई आवश्यक सुरक्षा तत्वों जैसे बच्चों की सुरक्षा, चालक लाइसेंसिंग व्यवस्था में सुधार, इलेक्ट्रॉनिक प्रावधान लागू करना तथा जीवन को खतरे में डालने वाले विभिन्न अपराधों के लिए दंड को तर्कसंगत बनाने की बात करता है। वैश्विक रूप से सड़क सुरक्षा के लिए पहचाने गए जोखिम कारकों के लिए प्रावधानों को आगे बिल में और अधिक सु²ढ़ करना चाहिए। हमलोग स्थायी समिति से यह आग्रह करते हैं कि वे इन कमियों पर ध्यान दें और जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपें, ताकि इस शीतकालीन-सत्र में बिल पास हो सके। दिल्ली के गैर-लाभकारी संस्थान, कंज्यूमर वॉयस के अशिम सान्याल ने कहा, पीएससी को संसद में प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट में ये सुक्षाव शामिल करने चाहिए कि मान्यता प्राप्त सुरक्षा मानकों के अनुसार बच्चों पर नियंत्रण के लिए प्रणाली, साथ ही साथ दोपहिया वाहनों में 4 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को उपयुक्त हेडगियर्स लगाने का प्रावधान सुनिश्चित करना चाहिए, इससे भारत में हर दिन सड़क का उपयोग करने वाले लाखों बच्चों की सुरक्षा हो पाएगी। सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस व रेड क्रीसेंट सोसाइटीज की मेजबानी वाली अंतर्राष्ट्रीय योजना के तहत विश्व सड़क सुरक्षा साझेदारों की ओर से सड़क सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने देश के सड़क सुरक्षा कानून को बेहतर बनाने के सरकार के हालिया प्रयासों का समर्थन किया। जीआरएसपी के डेव एल्सरोड ने कहा, हालांकि मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन को तत्काल पारित करना एक महत्वपूर्ण कदम है, भारत में सड़क दुर्घटनाओं व गंभीर रूप से घायल होने के मामलों में कमी लाने के लिए इसे लागू करने और अमल में लाने के लिए निरंतर राजनीतिक समर्थन आवश्यक है। पिछले एक दशक के दौरान भारत में 13 लाख से भी अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए, जिनमें अकेले 2015 में 1.46 लाख लोग मारे गए थे। मुख्य प्रावधानों के साथ इस बिल को और मजबूत बनाना आवश्यक है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं की महामारी से लोगों की सुरक्षा हो पाएगी। सड़क दुर्घटना में मृतकों की संख्या को 2020 तक 50 प्रतिशत कम करने के लक्ष्य को पाने की ओर यह एक अहम कदम है, क्योंकि इसकी स्थापना वर्ष, 2015 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री द्वारा, सड़क सुरक्षा पर हुए ब्रासीलिया कांफ्रेस में की थी।

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