श्रीनगर, श्रीनगर मुठभेड़ की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच कराने की मांग को लेकर ग्रीष्मकालीन राजधानी में शुक्रवार को हड़ताल शुरू हो गयी तथा अधिकांश हिस्सों में दुकानें एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे जिससे जन जीवन भी प्रभावित रहा।
सुरक्षा बलों के साथ बुधवार को हुई इस मुठभेड़ में तीन युवक मारे गये थे। मारे गये युवकों के ‘निर्दाेष’ होने और उन्हें ‘फर्जी’ मुठभेड़ में मारे जाने के परिवार के सदस्यों के दावे के बाद नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा अपनी पार्टी समेत प्राय: सभी राजनीतिक पार्टियों ने घटना की जांच कराने की मांग की है।
किसी भी संगठन की ओर से हड़ताल आहूत नहीं किये जाने के बावजूद श्रीनगर के पुराने इलाके, सिविल लाइंस और नये इलाके के विभिन्न हिस्सों में दुकानें एवं अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानें बंद रहें। शहर में हालांकि सड़कों पर यातायात सामान्य रहा जहां विभिन्न इलाकों में कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए एहतियात के तौर पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था।
ऐतिहासिक लाल चौक, बादशाह चौक, रीगल चौक, मैसूमा, हरि सिंह हाई स्ट्रीट, बटमालू, मौलाना आजाद रोड, रेसीडेंसी और डलगेट सेमत शहर के सभी प्रमुख वयावसायिक हब में व्यवसाय तथा अन्य गतिविधियां ठप रहीं। जामिया मार्केट, गोजवारा और हब्बाकदाल समेत पुराने इलाके में भी दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहें।
मारे गये युवकों के परिजनों के सभी आरोपों से इंकार करते हुए एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि आमतौर पर माता-पिता को अपने बच्चों की गतिविधियों का आभास नहीं होता है। उन्होंने कहा,“आतंकवादियों के लिए काम करने वाले कई सक्रिय कार्यकर्ता ग्रैनेड हमला और गोलीबारी की आतंकी घटना को अंजाम देने के बाद अपने परिवार के साथ सामान्य रूप से रहते हैं। श्रीनगर मुठभेड़ में मारे गये तीनों आतंकवादियों के नाम हमारे पास मौजूद आतंकवादियों की सूची में मौजूद नहीं था लेकिन उनमें से दो आतंकवादियों के सहयोगी थे।”
मुठभेड़ में मारे गये युवकों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों ने बुधवार को श्रीनगर पुलिस नियंत्रण कक्ष के बाहर एकत्र हुए तथा उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया। परिजनों का दावा है कि तीनों युवक अपने घरों से मंगलवार को परीक्षा का फॉर्म भरने के लिए निकले थे।
मारे गये युवकों में से एक, जिसकी पहचान एजाज मकबूल के रूप में की गयी है, की बहन ने कहा,“तीनों कल अपने घरों से विश्वविद्यालय में परीक्षा का फॉर्म जमा करने के लिए निकले थे। मेरा भाई तीन महीने बाद कल अपने घर से निकला था क्योंकि उसका ऑपरेशन हुआ था। वह इसलिए बाहर निकला क्योंकि उसे फॉर्म जमा करना था। उन्होंने (सुरक्षा बलों) उसे सड़क से उठाया होगा।” उसने बताया कि उसके भाई के साथ दो अन्य लड़के अजाज मुश्ताक और अत्हर थे। मारे गये दो अन्य युवकों के परिजनों ने उन्हें निर्दाेष बताते हुए विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।