नई दिल्ली, सहारा प्रमुख सुब्रत राय के एक मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन की टिप्पणियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी आलोचना किये जाने के बाद, धवन ने उनके बारे में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) टीएस ठाकुर की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण और निर्दय करार दिया। उन्होंने एक बयान में कहा, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधान न्यायाधीश ने मेरे पीछे अदालत में मेरे बतौर वकील और मेरे आचरण के बारे में निर्दय टिप्पणियां कीं।
न्यायमूर्ति ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुब्रत राय की पैरोल निरस्त करते हुए उनसे एक सप्ताह के भीतर हिरासत में लौटने को कहा। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता की आलोचना भी की। धवन की दलीलों की निंदा करते हुए पीठ ने टिप्पणी की कि कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता हैं जो अदालत का सम्मान नहीं करते और इसकी गरिमा से खेलते हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। न्यायाधीशों ने हालांकि स्पष्ट किया कि पीठ को धवन से कोई समस्या नहीं है। धवन की टिप्पणियों के लिए एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा बिना शर्त माफी मांगने के बाद पीठ ने कहा, कोई व्यक्ति वाकपटु, विद्वान हो सकता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह अदालत को धमकाए। आप अपनी बात को नम्रता के साथ रखिए। सहिष्णुता की भी एक सीमा होनी चाहिए। हालांकि धवन अपनी बात पर अडिग रहे और उन्होंने कहा, अदालत में जो कुछ हुआ मैं उसके लिए माफी नहीं मांगता। इसमें किसी भी तरह से मेरी खामी नहीं है। इस आधार पर किसी की पैरोल रद्द करना कि व्यक्ति की पैरवी करने वाला वकील किसी और विषय पर दिये गये हलफनामे पर प्रतिक्रिया देना चाहता है, अनुचित है। अपने बयान में वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, आदेश गुस्से में पारित किया गया, विशेष रूप से तब जबकि सभी शर्तें पूरी की गई हैं जो कि अनुचित है। सुनवाई के घटनाक्रम के संदर्भ में धवन ने कहा, वकील का यह कर्तव्य बनता है कि वह न्यायाधीश को बताए कि कहां और कब न्याय और स्थापित प्रक्रिया की नाकामी है। सहारा के वकीलों ने कहा कि धवन इस मामले में अब सहारा का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे।