प्रयागराज, यूपी पीसीएस प्रारम्भिक परीक्षा 2020 के परिणाम को लेकर बड़ी उथल पुथल मची है।
पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2020 के संशोधित परिणाम को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।
आरोप है कि लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश ने संशोधित परिणाम जारी कर पूर्व में चयनित 1015 अभ्यर्थियों को चयन सूची से बाहर कर दिया । इसका कोई कारण भी नहीं बताया गया है और न ही अभ्यर्थियों को सुनवाई का मौका दिया गया। महेश सिंह एवं सात अन्य ने इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की एकलपीठ ने वृहस्पतिवार को याचिका पर सुनवाई की। आयोग के अधिवक्ता के अनुरोध पर कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार को सुबह दस बजे प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
याचीगण के अधिवक्ता का कहना था कि याचीगण पीसीएस प्री परीक्षा 2020 में बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) पद के लिए चयनित हुए थे। कमीशन ने 24 नवंबर 2020 को प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी किया और इस बार नई चयन सूची में सिर्फ सीडीपीओ पर चयनित 1575 अभ्यर्थियों के नाम थे। मगर इस संशोधित सूची में पूर्व में चयनित याचीगण सहित सभी 1015 अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया।
आयोग ने सिर्फ रोल नंबर जारी किए हैं। कटेगरी और प्राप्तांक का कोई ब्यौरा नहीं दिया है। इससे संशोधित परिणाम की पारदर्शिता संदेह में है। अधिवक्ता का कहना था कि याचीगण को चयन सूची से बाहर करने से पूर्व उनका पक्ष नहीं जाना गया और न ही सुनवाई का कोई मौका दिया गया है । यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से विरुद्ध है।
न्यायालय ने इस मामले में लोक सेवा आयोग से जवाब मांगा था। आयोग के अधिवक्ता ने समय की मांग की जिस पर कोर्ट ने प्रकरण 22 जनवरी को सुबह दस बजे सुनवाई के लिए प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।