हैदराबाद, उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता के साथ भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी (एमटी) में आत्मनिर्भरता के बहुत करीब ले जाने की प्रशंसा की।
श्री नायडू ने यहां डा. ए पी जे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स में दो नई सुविधाओं का उद्घाटन करने के बाद वैज्ञानिक समुदाय को संबोधित करते हुए इस आशय की बात कही। उन्होंने कहा,“रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता न केवल देश के लिए महत्वपूर्ण या रणनीतिक महत्व का है, बल्कि राष्ट्रीय गौरव के लिहाज से भी जरूरी है।”
श्री नायडू ने मिसाइल कॉम्प्लेक्स प्रयोगशालाओं द्वारा आयोजित प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और कहा कि वह स्वदेशी उत्पादों को देखने के बाद गर्वित महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा,“मुझे आत्मनिर्भर मिसाइल तकनीक विकसित करने में डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की जबरदस्त प्रगति को देखते हुए देश की सुरक्षा और क्षमता के बारे में आश्वस्त महसूस हुआ हूं।”
श्री वेंकैया ने विश्वास व्यक्त किया कि डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों ने अपनी क्षमता तथा प्रतिबद्धता के साथ भारत को इतना आत्मनिर्भर बना दिया है कि आत्मनिर्भर भारत एक ऐसी स्थिति को प्राप्त कर लेगा, जहां दुनिया भारत पर निर्भर होगी।
उप राष्ट्रपति ने भारत के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आत्मनिर्भर प्रौद्योगिकियां स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देती हैं, रोजगार के अवसर पैदा करती हैं और मूल्यवान विदेशी मुद्रा अर्जित करती हैं। आकाश मिसाइल प्रणाली को हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा आयात के लिए वस्तुओं की नकारात्मक सूची में डाल दिये जाने की चर्चा करते हुए उन्होंने इसे डीआरडीओ द्वारा एक सराहनीय उपलब्धि बताया।
श्री नायडू ने कहा,“इसका मतलब है कि भारत अब इस तरह की मिसाइल प्रणाली में आत्मनिर्भर है और इसलिए सशस्त्र बलों को समान मिसाइल प्रणाली आयात करने की आवश्यकता नहीं है।”
वर्ष 2018 में मिसाइल प्रोद्यौगिकी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) पर हस्ताक्षर करने से पहले विकसित देशों की हाई एंड मिसाइल प्रौद्योगिकी तक पहुंच के लिए भारतीय समस्याओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने स्वदेशी मिसाइल प्रणाली की एक सीमा विकसित करके इस संकट को एक अवसर में बदल दिया।