भोपाल, कैंसर की बीमारी की जल्द पहचान करने के लिए मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने एक विशिष्ट कार्यक्रम को आयोजित करेंगे।
मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने आज कहा कि कैंसर की बीमारी की जल्द पहचान करने के लिये विशिष्ट कार्यक्रम एवं प्रकल्प की आवश्यकता है।
श्री सारंग वर्ल्ड कैंसर-डे के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। उन्होंने अपने सम्बोधन में आयोजकों को बधाई दी। श्री सारंग ने प्रदेश में महिलाओं में कैंसर की रोकथाम के लिये पिंक कैम्पेन आयोजित करने के संबंध में भी अवगत कराया। प्रदेश के शासकीय मेडिकल एवं डेंटल कॉलेज में कैंसर, सरवाइकल कैंसर, स्तन कैंसर एवं ओरल कैंसर के प्राथमिक स्तर पर पहचान, रोकथाम, निदान जांच एवं उपचार के लिये कैम्पेन के अंतर्गत विशेष स्क्रीनिंग कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
श्री सारंग ने कैंसर की प्राथमिक स्तर पर पहचान के लिये कैसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम को ग्राम पंचायत से जोड़े जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश में कैंसर को ग्राम पंचायत से जोड़ा जाएगा, तो कैंसर के मरीजों की प्राथमिक स्टेज पर पहचान एवं मरीजों के फॉलोअप को सुदृढ़ किया जाना संभव हो सकेगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने शुरू किये जाने वाले पिंक कैम्पेन के अंतर्गत महिलाओं के कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम को ग्राम पंचायत से पायलेट के रूप में जोड़े जाने के संबंध में अवगत कराया।
प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज एवं भोपाल गैस त्रासदी के अस्पतालों को कैसर के इलाज उपचार के लिये नये आयाम स्थापित करने के लिये नेशनल कैंसर ग्रिड से जोड़े जाने के लिये की जा रही पहल के बारे कार्यक्रम में उपस्थित सदस्यों को अवगत कराया गया। इस ग्रिड के माध्यम से कैंसर के मरीजों के उपचार के लिये डॉक्टर, नर्सिंग स्टॉफ और टेक्नीशियन को ट्रेनिंग दी जाना है।
प्रदेश में कैंसर के मरीजों की जाँच के लिये मेडिकल कॉलेज में पीपीपी आधार पर लिनियर एक्सलरेटर की स्थापना की जा रही है। प्रदेश के मेडिकल कॉलेज इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रतलाम, रीवा में लिनियर एक्सलरेटर स्थापित किया जाएगा।
कैंसर के मरीजों की विशिष्ट जाँचों के लिये आवश्यक आईसोटोप का निर्माण प्रदेश में उपलब्ध नहीं होने से कैसर की जाँच अत्यन्त महँगी होती है। इससे मरीजों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके लिये पीपीपी आधार पर साइक्लोट्रॉन मशीन की स्थापना भोपाल में की जाना प्रस्तावित है, जिससे कि कैसर की जाँचे सस्ती दर पर उपलब्ध हो सकेंगी।
श्री सारंग ने प्रदेश में स्टेट कैंसर इन्स्टीट्यूट जबलपुर एवं टरशरी कैसर सेन्टर ग्वालियर के स्थापित होने से भविष्य में कैंसर के मरीजों को आधुनिक जाँच एवं उपचार की सुविधा देने के लिये प्रतिबद्धता के संबंध में अवगत कराया। उन्होंने कहा की कैंसर के उपचार की व्यवस्था एवं कैसर से होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिये अहम है कि कैंसर की बीमारी की प्रारंभिक तौर पर पुष्टि कर ली जाये। इसके लिये हमें जन-जागरण को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य सेवाओं और उपकरणों का सुदृढीकरण करना है।
कार्यक्रम को इंदौर कैंसर फाउंडेशन एवं सिपला फाउंडेशन पुना के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। इंदौर कैंसर फाउंडेशन के संस्थापक एवं महासचिव तथा वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ. दिगपाल धारकर एवं करूणाश्रय अस्पताल बैंगलोर के डॉ. नागेश सिन्हा कैंसर विशेषज्ञ उपस्थित थे। ऑनलाइन कार्यक्रम में कैंसर की लास्ट स्टेज में इलाज उपचार के संबंध में विशेषज्ञों द्वारा चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया।
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मो. सुलेमान, आयुक्त निशांत वरवड़े, सिपला फाउंडेशन के प्रमुख अनुराग मिश्रा, प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज के डीन एवं सुपरिटेंडेंट ने कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के 150 से अधिक मेडिकल टीचर्स ने इस कार्यक्रम में भाग लेकर कैंसर की पेलियेटिव केयर (लास्ट स्टेज) के विभिन्न आयामों के संबंध में प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यक्रम में कैंसर के मरीजों की पेलियेटिव केयर के विभिन्न आयामों के संबंध में विस्तृत चर्चा की गयी।