लखनऊ , योगी सरकार के कामकाज को लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चौंकाने वाला खुलासा किया है।
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार टीकाकरण के आनलाइन रजिस्ट्रेशन के बहाने बड़ी आबादी को सुरक्षा चक्र से वंचित रखना चाहती है।समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार ने आनलाइन रजिस्ट्रेशन पर ही टीकाकरण की सुविधा दी है। गरीब, मजदूर और गांव की आबादी कैसे टीकाकरण को लाभ ले पाएंगे। सरकार यह भी बताए कि सबको सभी सेंटर पर मुफ्त टीका क्यों नहीं उपलब्ध है। सच तो यह है कि आनलाइन के बहाने प्रदेश की बड़ी आबादी को सुरक्षाचक्र से वंचित रखना चाहती है। वैक्सीनेशन का लाभ सबको मिले इसकी फूलप्रुफ व्यवस्था होनी चाहिए।
उन्होने कहा कि भाजपा सरकार सभी प्रदेशवासियों का मुफ्त में अगर वैक्सीन नहीं लगवाएगी तो समाजवादी पार्टी की सरकार 2022 में हर प्रदेशवासी को यह सुविधा देगी। दुनिया की कोई भी वैक्सीन जो सबसे ज्यादा कारगर होगी और जिसकी प्रक्रिया आसान होगी उसे उपलब्ध कराया जाएगा। समाजवादी सरकार में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावी होगीं। दवा-इलाज के बिना कोई नहीं रहेगा। हरेक के जिंदा रहने के अधिकार का पूर्ण-सम्मान होगा। समाजवादी सरकार में पूरी संवेदना के साथ प्रत्येक नागरिक को पूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी।
अखिलेश यादव ने कहा कि आंकड़ो की हेराफेरी करके डब्ल्यूएचओ से वाहवाही का तमगा लेने वाली भाजपा सरकार को गंगा में बह रहे शवों की तस्वीरें विचलित नहीं करती। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी में लाशों को चील कौवे गिद्ध नोंच रहेे हैं, श्मशान घाटों में धधकती चिताओं और अस्पतालों की चौखट पर तड़प-तड़पकर हो रही मौतों से भाजपा सरकार को कोई दर्द नहीं होता और नहीं संवेदना जागती है। मुख्यमंत्री को अपनी नाकामी छुपाने के लिए कुछ भी नैतिक-अनैतिक रास्ता अपनाने में हिचक नहीं है। अच्छा हो वे इधर उधर की बात करने के बजाए बताएं कि वह गरीबों को कब तक वैक्सीन लग जाएगी। ऑक्सीजन, इंजेक्शन और दवाओं के जमाखोरों तथा कालाबाजारियों पर कब लगाम लगेगी।
उन्होने कहा कि भाजपा हवा में उड़ने वाली पार्टी है जिसे जमीनी हालात का अंदाज नहीं हो सकता है। विपक्ष को कोसना अपनी नाकामी पर परदा डालना बचाव नहीं है। जब कोरोना की दूसरी लहर का विशेषज्ञों-वैज्ञानिकों ने अंदेशा बता दिया था तब मुख्यमंत्री स्टार प्रचारक बनकर दूसरे प्रदेशों में घूमते रहे। जनता यहां तड़पकर मरने लगी। स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई। अगर द्वेषभाव नहीं होता तो समाजवादी सरकार के समय बनाए गए अस्पतालों को ही समय से चला दिया होता तो कोरोना संक्रमितों को मौत के मुंह से जाने से बचाया जा सकता था।