डेंगू और चिकनगुनिया फिर डरा रहा है। खासकर दिल्ली में इन दोनों बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं। एडिस एजेप्टी मच्छर के काटने से होने वाले इन रोगों से बचने के लिए सबसे जरूरी है सावधानी। डेंगू को दो श्रेणियों- डेंगू बुखार और गंभीर डेंगू में बांटा जा सकता है। अगर मरीज में कैपलरी लीकेज हो तो उसे गंभीर डेंगू से पीड़ित माना जाता है, जबकि अगर ऐसा नहीं है तो उसे डेंगू बुखार होता है। टाइप 2 और टाइप 4 डेंगू से लीकेज होने की ज्यादा संभावना होती है। डेंगू बुखार का इलाज ओपीडी में हो सकता है और जिन मरीजों में तेज पेट दर्द, लगातार उल्टी, असंतुलित मानसिक हालात और बेहद कमजोरी है उन्हें अस्तपाल में भर्ती होना पड़ सकता है। यह ध्यान रखें कि तरल आहार देते रहना इसके इलाज का सबसे बेहतर तरीका है।
करीब 70 प्रतिशत मामलों में डेंगू बुखार का इलाज उचित तरल आहार लेने से हो जाता है। मरीज को साफ-सुथरा 100 से 150 मिलीलीटर पानी हर घंटे देना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मरीज हर 4 से 6 घंटे में पेशाब करता रहे। चिकनगुनिया एक प्रकार का वायरल है, जिसके लक्षण कमोबेश डेंगू की तरह ही होते हैं। इसमें बहुत तेज बुखार के साथ, जोड़ों, मांसपेशियों और सिर में असहनीय दर्द होता है। कई बार जोड़ों में सूजन भी देखने को मिलती है। त्वचा पर लाल निशान भी पड़ सकते हैं, लेकिन इसमें डेंगू की तरह रक्तस्राव का जोखिम नहीं होता। डेंगू की तुलना में इसके रोगियों में जोड़ों का दर्द लंबा खिंचता है, विशेषकर बुजुर्गों को बहुत कष्ट हो जाता है। हालांकि यह डेंगू के मुकाबले कम घातक है। 90 फीसदी मरीजों को डेंगू में बुखार होता है। 80 फीसदी को सिर, आंखों, शरीर व जोड़ों में दर्द होता है। 50 फीसदी मामलों में रैश यानी लाल निशान पड़ते हैं। 33 फीसदी मामलों में खांसी, गला खराब और नाक बंद जैसी दिक्कत होती है।
दो तरह का डेंगू खतरनाक: डेंगू के गंभीर रूप को डेंगू हेमरेजिक फीवर और डेंगू शॉक सिंड्रोम कहते हैं। हेमरेजिक फीवर में प्लेटलेट और सफेद रक्त कोशिकाएं कम होने लगती हैं। नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उलटी में खून आना या त्वचा पर गहरे नीले-काले रंग के चकत्ते जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। वहीं, डेंगू शॉक सिंड्रोम में मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है, उसका रक्तचाप और नब्ज कम हो जाती है और तेज बुखार के बावजूद त्वचा ठंडी लगती है। एिस्प्रन कतई न लें: डेंगू में बुखार के साथ बदन दर्द होने के कारण लोग अक्सर यह मान बैठते हैं कि बदलते मौसम के चलते वायरल हुआ है। ऐसे में लोग अक्सर अपनी मर्जी से एिस्प्रन और ब्रूफिन जैसी दवाइयां भी खा लेते हैं। यह बेहद खतरनाक है। यदि मरीज को डेंगू हो तो इन दवाओं के कारण अंदरूनी रक्तस्त्राव हो सकता है।