लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार ‘ईज ऑफ डुईंग बिजनेस’ तथा ‘ईज ऑफ लिविंग’ को पूरी तरह से लागू करना चाहती है, ताकि प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को त्वरित गति से संचालित किया जा सके और नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
श्री योगी ने सोमवार शाम ‘रिव्यु ऑफ मिनिमाइजिंग रेगुलेटरी कॉम्प्लायन्सेज़ बर्डेन’ के प्रस्तुतीकरण के मौके पर कहा कि अनावश्यक कानूनों से सम्बन्धित सभी विभागों के लम्बित प्रकरणों के समाधान के लिए टाइम लाइन निर्धारित करते हुए समयबद्धता से इनका निस्तारण किया जाए। मुख्यमंत्री कार्यालय इन मामलों के समाधान के लिए विभिन्न विभागों द्वारा की जा रही कार्यवाही की निरन्तर मॉनिटरिंग करे। उन्होंने मुख्य सचिव को इस कार्य की नियमित समीक्षा करने के लिए कहा।
उन्होने कहा कि प्रदेश के विकास में औद्योगिक गतिविधियों का विशेष योगदान है। इसके माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होता है, जिससे युवाओं को रोजगार मिलने की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। इसके दृष्टिगत अनावश्यक कानूनों से सम्बन्धित सभी विभागों के लम्बित प्रकरणों का समाधान निर्धारित तिथि तक हर हाल में कर दिया जाए। जिन नियम/कानूनों को रिपील किया जाना है, उनके सम्बन्ध में तेजी से कार्यवाही करके इन्हें समाप्त किया जाए।
अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास अरविन्द कुमार ने बताया कि ‘मिनिमाइजिंग रेगुलेटरी कॉम्प्लायन्सेज़ बर्डेन’ की पहल केन्द्र सरकार ने सितम्बर, 2020 में की थी। इसका उद्देश्य निर्धारित मापदण्डों पर ‘मिनिमाइजिंग रेगुलेटरी कॉम्प्लायन्सेज़ बर्डेन’ को कम करना था। इस पहल से ‘ईज ऑफ डुईंग बिजनेस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ पर विशेष बल दिया गया।
इस पहल के दो चरण हैं। पहला चरण 31 मार्च में लागू हुआ जबकि दूसरा चरण 15 अगस्त से लागू होगा। उन्होंने बताया कि इन दोनों चरणों के तहत 675 कॉम्प्लायन्सेज़ को चिन्हित किया गया। इन विभागों में श्रम, आबकारी, ऊर्जा, वन, रेरा, पर्यावरण, खाद्य एवं रसद, प्राथमिक शिक्षा, पंचायती राज, उच्च शिक्षा, हैण्डलूम तथा वस्त्रोद्योग, गृह, चिकित्सा शिक्षा, राजस्व, आवास, मत्स्य, सिंचाई तथा जल संसाधन, तकनीकी शिक्षा, परिवहन एवं नगरीय विकास शामिल हैं।