मल्टीपल स्क्लेरोसिस यानी एमएस एक क्रोनिक रोग है जो आपके मस्तिष्क, रीढ़ और आंखों की ऑप्टिक तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। व्यापक होने पर यह दृष्टि, संतुलन, मांसपेशियों पर नियंत्रण तथा शरीर की अन्य सामान्य गतिविधियों में समस्या पैदा कर सकता है। इसके प्रभाव अक्सर प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति पर अलग-अलग पड़ता है। कुछ लोगों में हल्के-फुल्के लक्षण हो सकते हैं और उन्हें इलाज कराने की जरूरत नहीं पड़ती, जबकि अन्य लोगों की परेशानी बढ़ सकती है और उन्हें दैनिक कार्य करने में भी दिक्कत आ सकती है। आम तौर पर एमएस को ऑटोइम्युन रोग समझा जाता है, जिसमें शरीर की रोगप्रतिरोधन प्रणाली ऐसी कोशिकाएं और प्रोटीन बनाने लगती हैं, जो मायलिन को नुकसान पहुंचाने लगती हैं। मायलिन एक वसायुक्त तत्व है जो हमारी तंत्रिकाओं के फाइबर की रक्षा करता है।
एमएस की क्या वजह है। वैसे तो एमएस का कारण तो ज्ञात नहीं है लेकिन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का यह रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं को 2.5 गुना ज्यादा प्रभावित करता है। हालांकि यह आनुवांशिक रोग भी नहीं है लेकिन कुछ लोगों में यह रोग पनपने की आशंका बढ़ाने वाले कुछ आनुवांशिक कारकों की अहम भूमिका भी होती है। कहा जाता है कि धूम्रपान करने वाले लोगों में भी इस रोग का अधिक खतरा रहता है। आम लक्षण:- ज्यादातर मरीजों को पहली बार लक्षण 20-40 वर्ष की उम्र में महसूस होते हैं। यह तंत्रिकाओं के क्षतिग्रस्त होने वाले स्थान पर निर्भर करता है कि किस व्यक्ति पर इस रोग का कितना असर होगा। यह रोग आंशिक, सामान्य या गंभीर हो सकता है। क्षतिग्रस्त होने का मतलब है कि आपका मस्तिष्क आपके शरीर के अन्य हिस्सों को सही तरीके से संदेश नहीं पहुंचा सकता है और इसके परिणामस्वरूप आपकी तंत्रिकाएं भी काम करना बंद कर देती हैं, जबकि इन्हें आपके चलने-फिरने और अहसास करने में मदद करनी चाहिए।
एमएस के जिन आम लक्षणों को देखा जा सकता है, उनमें शामिल हैं:- थकान, टहलने में तकलीफ, संवेदनशून्यता और सिहरन, सेक्स संबंधी समस्याएं, दृष्टि समस्या, बोलने में दिक्कत, मांसपेशियों की कमजोरी, अकडन तथा मरोड़ की समस्या जो ब्लैडर तथा पेट की गड़बडियों पर केंद्रित या इन समस्याओं की याद दिलाते हैं। इस रोग में कुछ लक्षण जो जल्दी उभरने लगते हैं, वे हैं…
दृष्टि समस्या:- ऑप्टिक न्यूराइटिस, आंखों की तंत्रिकाओं में जलन आदि शुरुआती आम लक्षण हैं। मरीज को शुरू-शुरू में धुंधली या दो-दो चीजें नजर आने की शिकायत हो सकती है और आम तौर पर ऐसा एक आंख की समस्या के कारण होता है। जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती जाती है, मरीज की दृष्टि कमजोर होती जाती है, हालांकि संपूर्ण नेत्रहीनता के मामले बहुत कम ही होते हैं।
सिहरन और संवेदन शून्यता:- सिहरन, क्रॉलिंग या जलन का अहसास या संवेदना की कमी हो सकती है। मरीज अत्यंत गर्मी या ठंडक की अनुभूति कर सकता है। ये लक्षण अक्सर पैर या बांह के आखिरी छोर से शुरू होते हैं और ऊपर बढ़ते हुए पैर की आरंभ बिंदु तक पहुंच जाते हैं।
मांसपेशियों की कमजोरी और मरोड़:- मरीज पैरों में कमजोरी, बेचैनी या भारीपन महसूस कर सकता है। उन्हें फुर्ती से अंगुलियां चलाने में भी दिक्कत आ सकती है।
संतुलन और तालमेल बनाने की समस्याएं:- मरीज की चाल की निरंतरता अनियंत्रित हो जाती है और सामान्य तरीके से चलने तथा संतुलन बनाए रखने में दिक्कत आती है। उन्हें छोटी-छोटी चीजें उठाने में भी दिक्कत आती है। ये समस्याएं चक्कर आने और कंपकंपी जैसे एमएस के अन्य सामान्य लक्षणों के कारण बढ़ सकती हैं।
थकान:- थकान एमएस का सबसे सामान्य और लाचार कर देने वाला लक्षण है और अक्सर यह रोग की शुरुआत से ही बढने लगती है। यह तकरीबन सभी मरीजों में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण लक्षण है। याद रखें कि सभी मरीजों में सभी लक्षण नहीं होते हैं। साथ ही ज्यादातर एमएस पीड़ितों को तभी दौरा, जिसे रिलैप्स भी कहा जाता है, पड़ता है जब स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ जाती है। आम तौर पर लक्षणों में सुधार होने के बाद ही उन्हें रिकवरी मिल पाती है। अन्य लोगों के मामले में समय के साथ यह बीमारी बदतर होती चली जाती है। डायग्नोसिस (जांच) कराना एमएस की जांच कराना एक बड़ी चुनौती होती है क्योंकि इसके लक्षण भी कई अन्य नर्व डिसऑर्डर की तरह ही होते हैं। लेकिन यदि आपके डॉक्टर को आप में यह बीमारी होने की आशंका होती है तो वह आपको किसी न्यूरोलॉजिस्ट से मिलने की सलाह देंगे। दरअसल, किसी एक जांच से साबित नहीं हो सकता कि आप एमएस पीड़ित हैं। लिहाजा आपको कई प्रकार की जांच करानी पड़ सकती है जिनमें शामिल हैं। रक्त जांच से पता चलता है कि व्यक्ति इससे पीड़ित है या नहीं, क्योंकि इसके कुछ लक्षण भी एड्स की तरह ही होते हैं। अपने संतुलन, समन्वय, दृष्टि और अन्य गतिविधियों की जांच कराकर देखें कि आपकी तंत्रिकाएं कितनी सक्रियता से काम कर रही हैं।
एमआरआई नामक जांच से आपके शरीर की संरचना की संपूर्ण तस्वीर साफ हो जाती है। आपके मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड में मौजूद द्रव्य की जांच को सेरेब्रोस्पाइनल फ्लड कहा जाता है। एमएस पीड़ित लोगों के सीएसएफ में अमूमन खास प्रकार की प्रोटीन पाई गई है।
इलाज:- एमएस का अभी तक कोई खास इलाज नहीं निकला है, लेकिन कई प्रकार के उपचार से आपको अच्छा महसूस हो सकता है और आपका शरीर अच्छी तरह काम करने में समर्थ हो सकता है। डॉक्टर ऐसी दवाइयां लेने की सलाह देते हैं जिनसे इस बीमारी की रफ्तार प्रक्रिया धीमी हो सकती है, दौरे बंद हो सकते हैं, लक्षण मंद पड़ सकते हैं या आपको इस बीमारी के साथ मिलने वाला तनाव कम करने में मदद मिल सकती है। आपके एमएस दौरे को अल्पकालीन या कम गंभीर बनाने के लिए डॉक्टर आपको स्टेरॉयड लेने की भी सलाह दे सकते हैं। इन प्रकार की चिकित्सा के अलावा फिजियोथेरापिस्ट आपको कुछ व्यायाम भी बताते हैं जो आपकी ताकत और संतुलन बनाए रख सकते हैं और आप थकान एवं दर्द पर काबू पा सकते हैं। यदि आप अब भी टहलने में दिक्क्त महसूस करते हैं तो छड़ी या वॉकर के सहारे आपका टहलना आसान हो सकता है। इलाज के अलावा अपने एमएस लक्षणों पर नियंत्रण पाने के लिए आप कुछ अन्य उपाय भी कर सकते हैं और लाइफस्टाइल में बदलाव ला सकते हैं। नियमित व्यायाम करें और अपनी ऊर्जा बनाए रखने के लिए बहुत ज्यादा गर्मी से बचें। डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद आप थकान एवं तनाव दूर करने के लिए योगा भी आजमा सकते हैं। अपनी भावनात्मक सेहत का भी ख्याल रखें।