लखनऊ, प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देने के लिए उत्तर प्रदेश में 1.38 लाख प्राइमरी स्कूलों का कायाकल्प, राजकीय इंटर कॉलेजों के निर्माण और स्टार्टअप योजना के जरिए छात्रों के आइडियाज को अमली जामा पहनाने में सरकार अव्वल रही है।
आधिकारिक सूत्रों ने गुरूवार को कहा कि सरकार ने सबसे बड़ा बदलाव बेसिक शिक्षा में किया है। भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए पहली बार प्राइमरी स्कूल के बच्चों को दिए जाने वाले जूता, मोजा, बैग और स्वेटर का पैसा अब डीबीटी के जरिए सीधे अभिभावकों के खाते में भेजा जा रहा है। सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में 1.25 लाख शिक्षकों की भर्ती कर शिक्षकों की कमी को पूरा किया है।
उन्होने कहा कि साढ़े चार साल में यूपी सरकार ने शिक्षा की तस्वीर बदलने का काम किया है। प्राइमरी से लेकर डिग्री व तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिए उठाए गए कदम मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। वनटांगिया व मुसहर समाज के बच्चे जो अभी तक शिक्षा से महरूम थे। सरकार ने उनके लिए वनटांगिया ग्रामों में 33 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण कराया।
सरकार की नीतियों के चलते स्कूल चलो अभियान के जरिए प्राइमरी स्कूलों में रिकार्ड छात्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई। निजी स्कूलों की तर्ज पर प्रदेश के स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की शुरूआत की गई, ताकि सरकारी स्कूल के बच्चें फर्राटेदार अंग्रेजी बोल सकें। 24721 विद्यालयों का संविलयन कर शिक्षकों की कमी को दूर किया गया।
सूत्रों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा के साथ माध्यमिक शिक्षा में सुधार के बड़े कदम उठाए हैं । साढ़े 04 सालों में 250 नए इंटर कॉलेजों की स्थापना की गई। इसमें अधिकतर स्कूल ग्रामीण इलाकों में बनाए गए ताकि गांव के छात्रों को पढ़ाई के लिए दूर न जाना पड़े। श्रमिकों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए 18 मंडलों में अटल आवासीय विद्यालयों की स्थापना की गई। इंटर कॉलेजों में 5987 पदों पर शिक्षकों की भर्ती कर पढ़ाई में सुधार का काम किया गया। बालिकाओं के लिए सभी मंडलों में 107 छात्रावासों का निर्माण कराया जा रहा है।