नयी दिल्ली, 2023 वनडे विश्व कप की तरफ़ आगे बढ़ने के इरादे से भारतीय टीम दक्षिण अफ़्रीका के विरुद्ध वनडे सीरीज़ में उतरी थी। हालांकि न केवल उसे 0-3 से हार का सामना करना पड़ा, बल्कि वह इस प्रारूप में अपनी समस्याओं का समाधान खोजने में भी विफल रही।
पिछले कुछ वर्षों में भारत विकेट लेने के मामले में घातक नहीं रहा है। टीम का मध्यक्रम भी ज़रूरत पड़ने पर प्रभावशाली नहीं दिखा है। साथ ही टीम को छठे गेंदबाज़ी की कमी खली है। इन सभी मुद्दों ने उन्हें दक्षिण अफ़्रीका में भी परेशान किया।
विकेट लेने की असफलता का मुद्दा गौर करने लायक हैं क्योंकि इसी ने भारत को 2017 से 2019 के बीच एक शक्तिशाली वनडे टीम बनने में मदद की। हालांकि 2019 के विश्व कप के बाद से पावरप्ले में भारत का औसत और स्ट्राइक रेट सबसे ख़राब है। इसके पीछे का एक कारण यह हो सकता है कि चोट के कारण टीम से अंदर-बाहर होने वाले भुवनेश्वर कुमार अपनी लय नहीं पकड़ पाए हैं। वहीं टीमों ने जसप्रीत बुमराह के ख़िलाफ़ संभलकर खेलने का रास्ता ढूंढ लिया है।
पावरप्ले में विकेट नहीं चटकाने का परिणाम यह होता है कि जब स्पिनर गेंदबाज़ी करने आते हैं, उनके सामने दो सेट बल्लेबाज़ होते हैं। कुलदीप यादव फ़ॉर्म में नहीं होने के कारण टीम से बाहर हैं। वहीं युज़वेंद्र चहल भी अपने पुराने रंग में नहीं नज़र आ रहे हैं। इस पूरी सीरीज़ में भारत के गेंदबाज़ों ने मध्य ओवरों में विकेट झटकने के लिए संघर्ष किया है। वनडे सीरीज़ में भारत ने रविचंद्रन अश्विन को मौक़ा दिया, जो 2017 के बाद पहली बार वनडे मैच खेल रहे थे। लेकिन उनका प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा। साथ ही वह रवींद्र जाडेजा की भूमिका निभाने में नाकाम रहे।
भारत ने इस सीरीज़ में पटकी हुई गेंदबाज़ी की ज़रूरत को समझते हुए, तीसरे वनडे में लंबे क़द के गेंदबाज़ प्रसिद्ध कृष्णा को टीम में शामिल किया। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की तरह टीम ने उनका उपयोग बीच के ओवरों में विकेट चटकाने के लिए किया।
दीपक चाहर ने तीसरे वनडे में भुवनेश्वर की जगह ली और वह नई गेंद से विकेट चटकाने में सफल हुए। भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने बीच के ओवरों में अपनी लेंथ को पहले की तुलना में थोड़ा छोटा रखा। पिच पर गेंद रूक कर आ रही थी और शॉर्ट गेंद पर भारतीय गेंदबाज़ों ने दो विकेट झटके। आने वाले वनडे मैचों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत अपनी इस रणनीति को जारी रखता है या नहीं।