लखनऊ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने केन्द्र सरकार पर सैन्य बलों के हितों की अनदेखी का आरोप लगाते हुये श्वेत पत्र जारी किया।
पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में चव्हाण ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सैनिकों के शौर्य और बलिदान का इस्तेमाल अपने राजनीतिक स्वार्थ और सत्ता हथियाने के लिये करती रही है मगर सेना और अर्धसैनिक बलों के हितों का हनन किया जा रहा है।
उन्होने कहा कि यह राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि अहम राष्ट्रीय मुद्दा है और वह यह दावा आंकड़ों के आधार पर कर रहे है। ‘पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन एस्टीमेट के अध्यक्ष रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने सेना के बजट में 60 साल की सबसे भीषण कटौती की है।
चव्हाण ने आरोप लगाया कि वन रैंक, वन पेंशन के नाम पर धोखा, सेना के पदों को न भरना, सेना की मूलभूत सुविधाओं को भी छीन लेना, विसंगतियों को जानबूझकर नज़रंदाज करना, सिविलियन कर्मचारियों के मुकाबले सेना से भेदभाव करना, पूर्व सैनिकों के पुनर्वास व रोज़गार पर चोट पहुंचाना तथा सैन्य शक्ति को कमज़ोर करना मोदी सरकार में सेना का मनोबल तोड़ने की साजिशों का हिस्सा है।
उन्होने इस अवसर पर ‘शौर्य के नाम पर वोट सेना के हितों पर चोट’ श्वेत पत्र जारी किया। उन्होने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार सेना के शौर्य के नाम पर वोट तो बटोरती है पर सैनिकों के अधिकारों पर रोज कुठाराघात करती है। भाजपा के एक और वरिष्ठ नेता, मेजर जनरल, बी सी खंडूरी ने पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन डिफेंस के प्रमुख रहते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा कि मोदी सरकार ने न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा से कुठाराघात किया है, अपितु सेना के आधुनिकीकरण को नुकसान पहुंचाया।
कांग्रेसी नेता ने कहा कि पिछले साल 13 दिसंबर को रक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि तीनों सेनाओं में एक लाख 22 हजार 555 पद खाली पड़े हैं, जिनमें से लगभग दस हजार पद सैन्य अधिकारियों के भी हैं। मोदी सरकार ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के नाम पर 30 लाख पूर्व सैनिकों को धोखा दिया है। यूपीए- कांग्रेस सरकार ने 2004 से 2012 के बीच तीन बार भूतपूर्व सैनिकों को पेंशन दी, जिससे उन्हें सात हजार करोड़ रूपये का अतिरिक्त आर्थिक फायदा हुआ जबकि सात नवंबर 2015 को मोदी सरकार ने नया आदेश निकाला और सेना के 30-40 प्रतिशत सैनिकों से ‘‘वन रैंक, वन पेंशन’’ पूरी तरह से छीन ली।