मुंबई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत की प्रगति में इसके वित्तीय संस्थानों की सहभागिता बहुत महत्वपूर्ण है।
श्री मोदी ने आर्थिक वृद्धि और अकांक्षा की अर्थव्यवस्था के वित्त पोषण विषय पर बजट पश्चात एक ऑनलाइन संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे व्यवहारिक वित्तीय मॉडलों के निर्माण की जरूरत है, जो देश में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को प्रोत्साहित कर सके और दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता कम हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व में सबसे बड़ी महामारी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार के वित्तीय निर्णयों और अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद के कारण हो रहा है।
श्री मोदी ने कहा, “भारत की प्रगति को 21वीं शताब्दी में और अधिक गतिवान बनाने के लिए प्राथमिकता वाले सभी क्षेत्रों के लिए वित्त पोषण के व्यवहारिक मॉडल बनाने की आवश्यकता है। भारत की अकांक्षाओं और जिस दिशा में आगे बढ़ना चाहता है उसे देखते हुए वित्तीय संस्थाओं की सहभागिता महत्वपूर्ण है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान इसलिए लागू किया है ताकि दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता कम हो सके। उन्होंने कहा, “ऐसे हालात में हमें उन परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए अलग-अलग वित्तीय मॉडल विकसित करने की जरूरत है जो दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता को कम करने वाली हैं।”
श्री मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री गतिशक्ति वृहद योजना के क्रियान्वन की सफलता में वित्तीय संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण होने जा रही है।
श्री मोदी ने बजट 2022-23 के बारे में कहा कि इसमें आर्थिक वृद्धि को और अधिक गति देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें विदेशी पूंजी प्रवाह को बढ़ाने, बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश पर कर का बोझ कम करने, एनआईआईएफ, गिफ्ट सिटी और नए विकास वित्त संस्थानों (डीएफआई) के गठन जैसे कदम शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें 8-10 ऐसे क्षेत्र चुनने चाहिए जहां भारत दुनिया की तीन प्रमुख ताकतों में गिना जा सके। इन क्षेत्रों की कंपनियों को वित्तीय संस्थानों से मदद की जरूरत होगी। भारत ने ड्रोन, अंतरिक्ष और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को निजी निवेश के लिए खोल दिया है।
उन्होंने कहा, “भारत में युवाओं के लिए काम करने के विशाल अवसर और संभावनाएं हैं। हमें ऐसे क्षेत्रों में भारत को दुनिया के प्रमुख तीन देशों की श्रेणी में पहुंचाने का प्रयत्नशील रहना चाहिए।” उन्होंने इस अवसर पर केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) प्रचलित करने की योजना का भी जिक्र किया और कहा कि यह हमारी सोच को दर्शाता है।
श्री मोदी ने कहा, “यदि हम उद्दमशीलता को प्रोत्साहित करेंगे तभी हमारे स्टार्टअप फलेंगे-फूलेंगे।” उन्होंने इसी समझ में नव प्रवर्तन और नए व्यवसायिक क्षेत्रों पर ध्यान देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि नई पहलों के वित्त पोषण और मजबूत जोखिम प्रबंध के बारे में वित्तीय क्षेत्र को नए विचारों और वित्त पोषण के नए तरीकों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
वर्ष 2070 तक भारत की ओर से कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए श्री मोदी ने कहा कि इस लक्ष्य के लिए हरित पर्यावरण अनुकूल योजनाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संभावनाओं की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वित्त पोषण के जरिए उसे और मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हमें अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विशाल संभावना को पहचानना होगा। हमारा कृषि क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।”
श्री मोदी ने कहा कि ग्रामीण भारत को डिजिटल नेटवर्क से जोड़ने और गांव की जरूरत के हिसाब से वित्तीय समावेशन की योजनाएं और उत्पाद विकसित करने की जरूरत है।