लखनऊ, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विरोध के बावजूद कौमी एकता दल का आखिकार समाजवादी पार्टी में विलय हो ही गया. इससे पहले अखिलेश के हठ के आगे विलय को रद्द कर दिया गया था. सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मुलायम सिंह ने विलय का फैसला किया है. इसके लिए अखिलेश से भी सलाह ली गई.
21 जून को मुख्तार अंसारी की पार्टी कौएद का सपा में विलय हो गया था. लेकिन अखिलेश यादव के भारी विरोध करने के बाद 25 जून को लखनऊ में पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें विलय को रद्द करने का ऐलान कर दिया गया. इसके बाद शिवपाल यादव नाराज हो गए थे, जिन्हें मनाने के लिए मुलायम सिंह उन्हें पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था. इसके बाद अखिलेश ने एक बड़ा दांव चलते हुए शिवपाल से सभी बड़े मंत्री पद छीन लिए, इसके साथ ही शिवपाल के करीबी कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया था. आखिर में मुलायम सिंह दोनों लोगों को एक साथ लाए और अखिलेश को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया और अखिलेश ने भी शिवपाल को उनके सारे मंत्रालय वापस कर दिए.
पहले से कौमी एकता दल के सपा मे विलय के संकेत थे. संभावना यह थी कि मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी के साथ मुलायम सिंह यादव स्वयं विलय का ऐलान कर सकते हैं, लेकिन इससे पहले ही शिवपाल यादव ने नई कार्यकारिणी का ऐलान किया तो उसी दौरान पूछे गए सवाल के जवाब के जवाब में उन्होंने ने कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के आदेश पर कौमी एकता दल का सपा में विलय हो चुका है. उन्होंने कहा कि नेताजी ने कह दिया तो समझो विलय हो गया. शिवपाल सिंह यादव ने स्पष्ट किया कि विलय का फैसला सभी के समर्थन पर हुआ है.
शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की नई कार्यकारिणी का ऐलान किया.नई कार्यकारिणी में ज्यादातर शिवपाल के करीबी ही हैं. उन्होंने बताया कि बर्खास्त मंत्री राजकिशोर के विषय पर विचार-विमर्श चल रहा है.