डा0 उदय प्रताप सिंह यादव एक ऐसी शख्सियत हैं जिनका आंकलन किसी एक क्षेत्र विशेष से नही किया जा सकता है। वे बहु आयामी व्यक्तित्व के धनीं हैं। उनकी पहचान एक लोकप्रिय कवि, साहित्यकार, समाजसेवी तथा राजनेता के रूप में हैं। वे अखिल भारत वर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। प्यार से लोग उन्हें गुरूजी के नाम से भी संबोधित करतें हैं।
उदय प्रताप सिंह का जन्म ग्राम गढिया छिनकौरा जिला मैनपुरी (उ०प्र०) में 18 मई 1932 को हुआ था । उनकी माता पुष्पा यादव व पिता डॉ॰ हरिहर सिंह चौधरी थे। 20 मई 1958 को डॉ॰ चैतन्य यादव के साथ उनका विवाह हुआ। उनके एक बेटा व तीन बेटियाँ हैं। डा0 उदय प्रताप सिंह सेंट जॉन कॉलेज , आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में और हिंदी में एमए की डिग्री हासिल करने के बाद, सन 1958 में जैन इंटर कॉलेज, करहल में अंग्रेजी के व्याख्याता बन गए। वहां उन्होंने समाजवादी पार्टी के संस्थापक, मुलायम सिंह यादव को भी पढ़ाया ।
उदय प्रताप सिंह हिंदी के प्रख्यात कवि हैं, उन्होंने भारत और अन्य जगहों पर कवि सम्मेलन में भाग लिया है। सूरीनाम में 1993 के विश्व हिन्दी सम्मेलन के प्रतिनिधि मण्डल का उन्होंने नेतृत्व किया। वे देश विदेश में पिछले पैंतालिस वर्षों से कवि सम्मेलनों में जाते रहे हैं और भाषायी एकता का मुद्दा उठाते रहे हैं। उदय प्रताप सिंह को उनकी बेवाक कविता के लिये विभिन्न कवि सम्मेलन के मंचों पर आदर के साथ बुलाया जाता है। उन्होंने कविताओं के अलावा कई गजलों और गीतों की भी रचना की है। उन्होने समाजवादी पार्टी के लिए कई चुनावी गीतों की भी रचना की है। सपा के थीम सांग ‘मन से हैं मुलायम…’ को मुलायम के गुरु व सांसद उदय प्रताप सिंह ने लिखा है।
आप राजनीतिक पार्टी जनता दल (1989–91), समाजवादी जनता पार्टी (1991–92) और 1992 से समाजवादी पार्टी के सदस्य रहे हैं। आपको नौवीं (1989–91) और दसवीं लोक सभा (1991-1996) के सदस्य के रूप में चुना गया था । उनका चुनाव क्षेत्र मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र से था। जिसे उन्होंने 1996 में अपने पूर्व छात्र, मुलायम सिंह यादव,के लिए छोड़ दिया था। आपने वर्ष 2002-2008 के लिये समाजवादी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश से राज्य सभा का प्रतिनिधित्व किया। आप विभिन्न संसदीय समितियों के अलावा, वे शैक्षिक निकायों के सदस्य भी रहे हैं। आप नवंबर 2002 से भारत सरकार के एक विभाग राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य रहे । अखिलेश यादव सरकार में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके डॉ. उदय प्रताप सिंह को , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज का अध्यक्ष, नियुक्त किया है। हिंदुस्तानी एकेडमी के सहज संचालन के लिए डॉ. उदय प्रताप सिंह की नियुक्ति को राजभाषा हिंदी की बहुआयामी समृद्धि हेतु अच्छा संकेत माना जा रहा है। वे देश विदेश में पिछले पैंतालिस वर्षों से कवि सम्मेलनों में जाते रहे हैं और भाषायी एकता का मुद्दा उठाते रहे हैं। उदय प्रताप सिंह को उनकी बेवाक कविता के लिये आज भी कवि सम्मेलन के मंचों पर आदर के साथ बुलाया जाता है। साम्प्रदायिक सद्भाव पर उनका यह शेर श्रोता बार-बार सुनना पसन्द करते हैं।
समाजवाद के वर्तमान परिदृश्य पर डा0 उदय प्रताप सिंह का कहना है कि समाजवाद पूरी जीवनशैली है, लोग बहुत साधारण जीवन जीते थे। अब वक्त के साथ काफी कुछ बदला है तो समाजवाद इससे अछूता कैसे रह सकता है। पहले मुलायम सिंह साइकिल से चुनाव प्रचार कर लेते थे पर अब नई पीढ़ी हेलिकॉप्टर से परहेज करेगी तो काम कैसे चलेगा। उनका कहना है कहा कि दूसरे दलों की तरह समाजवाद और समाजवादी पार्टी भी बदली है।
उनकी कुछ लोकप्रिय रचनायें-
1-न तेरा है न मेरा है ये हिन्दुस्तान सबका है।
नहीं समझी गयी ये बात तो नुकसान सबका है॥….
2- कभी-कभी सोचा करता हूँ वे वेचारे छले गये हैं।
जो फूलों का मौसम लाने की कोशिश में चले गये हैं॥….
3-पुरानी कश्ती को पार लेकर फकत हमारा हुनर गया है।
नये खिवय्ये कहीं न समझें , नदी का पानी उतर गया है।….
4-ऐसे नहीं जाग कर बैठो तुम हो पहरेदार चमन के,
चिंता क्या है सोने दो यदि सोते हैं सरदार चमन के,
5- जिनको आदत है सोने की उपवन की अनुकूल हवा में,
उनका अस्थि शेष भी उड़ जाता है बनकर धूल हवा में,
लेकिन जो संघर्षों का सुख सिरहाने रखकर सोते हैं,
युग के अंगड़ाई लेने पर वे ही पैग़म्बर होते हैं,…..