लखनऊ (एजेंसी)। पाक महीने रमजान में नमाज का सवाब आम दिनों के मुकाबले सत्तर गुना ज्यादा मिलता है। इसलिए रोजेदारों के लिए यह जानना जरूरी है कि ऐसी कौन-सी गलतियां आम दिनों में होती हैं, जिन्हें इस माह में न दोहराई जाए। वरना नमाज की कुबूलियत पर असर पड़ सकता है।
इस माह में पुरुषों के लिए सोने के गहने पहनना सही नहीं माना जाता, लेकिन चांदी का कोई गहना जो करीब साढ़े चार माशा से कम का बना हो, पहना जा सकता है। इसी तरह महिलाओं के लिए भी जेवरों की सीमा तय होती है। महिलाओं के लिए सोने-चांदी को छोड़कर दूसरी धातुओं से बने जेवरात हराम हैं।
मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी बताते हैं कि महिलाओं से मुताल्लिक एक चूक आमतौर पर देखने को मिलती है। वह यह कि सोने-चांदी के जेवरात के साथ आर्टीफीशियल यानी नकली जेवर पहनकर भी नमाज अदा कर लेती हैं। ऐसे में उनकी नमाज कुबूल नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि पैगंबर-ए-इस्लाम ने फरमाया कि लोहा से बना कुछ भी न पहनें, क्योंकि वह जहन्नुमी (नरक में जाने वालों का) जेवर है।
सलीम नूरी ने बताया कि नमाज पढ़ते वक्त बनावटी जेवर पहने हुए हैं तो उतार देना चाहिए। उन्हें पहनकर नमाज पढ़ी तो यह मकरूह-ए-तहरीमी होगी, यानी ऐसी नमाज को दोबारा पढ़ने का हुक्म है। उन्होंने कहा कि नमाज के दौरान औरतों को जेवरात के साथ मेकअप से भी परहेज करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि नेल पालिश लगाया और उसे छुटाए बगैर वुजू किया तो नमाज नहीं होगी, क्योंकि नेल पालिश लगे होने से नाखून तक पानी नहीं पहुंचता। जब वुजू नहीं होगा तो नमाज भी नहीं होगी।