मैनचेस्टर, एक ऐसी पारी जिस पर उन्होंने कहा कि वह इसे हमेशा याद रखेंगे। एक ऐसी पारी जिसे बाहर से देखने वाले कभी नहीं भूल पाएंगे। यह ऋषभ पंत का पहला वनडे शतक था, जहां उन्होंने भारत को हार के मुंह से बाहर निकालते हुए जीत दिलाई साथ ही मेहमान टीम को रिकॉर्ड समय में लक्ष्य तक पहुंचाया भी।
जो भी ओल्ड ट्रैफ़र्ड में मौजूद था उन्हेांने इसे एक ख़ास पारी बताया। ख़ासतौर पर एक परिपक्वता से भरी पारी। उनकी भारत के कप्तान रोहित शर्मा ने तारीफ़ की, उन्हें इंग्लैंड के कप्तान जॉस बटलर से भी तारीफ़ मिली और पांचवें विकेट की साझेदारी में पंत का साथ निभाने वाले हार्दिक पांड्या ने भी उन्हें सराहा। इसी के साथ पंत ने भी हामी भरी कि यह उनका याद रखने वाला प्रयास था।
पंत ने मैच के बाद कहा, “उम्मीद है मैं इसको मेरी पूरी ज़िंदगी याद रखूंगा। लेकिन जिस वक़्त मैं मैदान पर पहुंचा था मैं कुछ नहीं सोच रहा था, मैं बस कोशिश कर रहा था कि एक गेंद पर फ़ोकस जिससे अपनी टीम को मुश्किल से निकाल सकूं।”
जब पंत मैदान पर आए उस वक़्त रोहित पांचवें ओवर में आउट हुए थे और स्कोर 21 रन पर दो विकेट था। इसके बाद यह स्कोर 38 पर 3 हो गया क्योंकि विराट कोहली भी आउट हो गए थे। जल्द ही सूर्यकुमार यादव भी आउट हो गए ओर स्कोर 72 रनों पर 4 विकेट था। अब भारत को जीत दिलाने की ज़िम्मेदारी पंत और पांड्या के हाथों थी।
यह तीन दिन के भीतर दूसरा मौक़ा था जब पंत ऐसी स्थिति में क्रीज़ पर आए। बुधवार को भी लॉर्ड्स में वह ऐसी स्थिति में आए लेकिन एक फुल टॉस गेंद को मिडऑन पर मारकर शून्य पर ही आउट हो गए। एक बार जब वह 18 रनों पर थे तो उन्होंने मोईन अली पर पर आगे निकलकर मारने की कोशिश की लेकिन पूरी तरह से चूक गए। विकेट के पीछे बटलर ने उन्हें स्टंपिंग करने का मौक़ा गंवा दिया। लेकिन जल्द ही पंत और पांड्या ने चुनौती स्वीकार की और वापसी के लिए कदम बढ़ाने शुरू कर दिए।
लॉर्ड्स की तरह ही यहां पर भी भारत के सामने 246 के करीब का लक्ष्य था और 100 रनों के करीब की ही हार का ख़तरा मंडरा रहा था लेकिन पंत और पांड्या ने इरादा दिखाया और रन आने लगे। पांड्या भी जब आउट हुए तो अभी भी लक्ष्य 50 से ज़्यादा था, लेकिन पंत ने मैच का रूख मेज़बानों की ओर नहीं मुड़ने दिया। ना ही उनके पहले वनडे शतक की सुगबुगाहट ने इस लय को तोड़ने दिया।
एक बार जब उन्होंने शतक पूरा कर दिया तो पंत और भी ज़्यादा ख़तरनाक हो गए। आख़िरी नौ ओवरों में 24 रन चाहिए थे। पंत ने डेविड विली के ओवर में लगातार पांच चौके लगाए और 21 रन निकाले। इसके बाद रिवर्स स्वीप करके अपनी टीम को जीत दिला दी। उन्होंने हेलमेट उतारा, अपना दायां हाथ उठाया अंगूठा दिखाया और ड्रेसिंग रूम की ओर जीत वाली हंसी दिखाई।
पंत ने कहा, “जब आपकी टीम दबाव में हो और इस तरह से बल्लेबाज़ी हो यही मैं हमेशा से करना चाहता था। मैं दबाव भरी स्थिति में अच्छा करना चाहता हूं। उम्मीद है मैंने आज ऐसा किया और अपनी टीम को जीत दिलाई।”
पंत के बारे में जब बटलर से पूछा गया तो उन्हेांने कहा, “पंत एक बहुत ही निडर खिलाड़ी है। यह उनकी मानसिकता ही है जिससे वह यह मानक तय करते हैं। ऐसा लगता है ऐसा करने की उन्हें छूट है और वह जैसा खेलना चाहते हैं उसकी उन्हें छूट है।”
ऐसा 130 बार वनडे में हुआ है जब 250 से 270 के बीच रनों का पीछा करते हुए 50 से कम रनों पर तीन आउट हो गए हों, इसमें से केवल 16 बाहर ही ऐसा हुआ है जब टीमों ने वापसी करते हुए जीत हासिल की हो। लेकिन इन 16 मौक़ों पर कभी भी किसी टीम ने इतनी गेंद शेष रहते जीत दर्ज नहीं की। रोहित ने कहा कि पंत और पंड्या की मध्य क्रम में सफलता की वजह से ही भारत यह सीरीज़ 2-1 से जीतने में कामयाब रहा।
रोहित ने कहा, “ये लड़के लंबे समय से मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी कर रहे हैं। आज हमें ख़ासतौर से हार्दिक और ऋषभ से देखने को मिला। मैं दोनों की बल्लेबाज़ी से खुश हूं। ये दोनों कभी भी चिंतित नहीं हुए और कुछ भी अलग करने की कोशिश नहीं की। वह बस खुद का बचाव करते हुए क्रिकेट शॉट लगाते गए।”
यह पंत और पांड्या के बीच पहली शतकीय साझेदारी थी। इससे पहले 2021 पुणे में इंग्लैंड के ही ख़िलाफ़ दोनों ने 11.4 ओवरों में 99 रन की साझेदारी करके टीम को सात विकेट से जीत दिलाई थी।
प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ बने पांड्या ने बताया कि कैसे पंत ने अपनी पारी को आगे बढ़ाया, कैसे वह परिस्थिति के मुताबिक खेले और साझेदारी की अहमियत समझी। उन्होंने कहा, “ऋषभ ने अपनी पारी को आगे बढ़ाया, यह हमारे लिए बहुत जरूरी था कि हम साझेदारी करें और इस तरह से ख़त्म करें। “हम सभी जानते हैं कि उनके पास किस तरह का कौशल है। जब भी वह लय में खेलते हैं तो देखकर मज़ा आता है, आपकी दिल की धड़कन भी बढ़ने लगती है लेकिन जिस तरह के वह शॉट खेलते हैं उससे आपके भी होश उड़ जाते हैं।”