रायपुर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नही करने पर हमला जारी रखते हुए कहा हैं कि भाजपा राजभवन के माध्यम से आरक्षण को खत्म करने का खेल कर रहीं हैं।
भूपेश बघेल ने आज फिर भॆंट मुलाकात कार्यक्रम पर रवाना होने से पूर्व यहां पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि राज्यपाल के रवैये से बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा हैं,युवाओं को मुश्किल हो रही हैं। सारी भर्तियां और एडमीशन रूके हुए हैं। भाजपा के लोगो को इस मुश्किल दौर में राजनीति की सूझी हुई हैं। उन्होने कहा कि इन लोगो ने जनता के बीच सीधी सीधा विलेन बनने से बचने के लिए विधानसभा में तो आरक्षण विधेयक का समर्थन कर दिया,लेकिन बाद में राजभवन के माध्यम से आरक्षण को खत्म करने का खेल कर रहे हैं।
उन्होने राज्यपाल पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि कल आदिवासी समाज ने विधेयक को रोकने के विरोध में आन्दोलन किया,लेकिन उनसे राज्यपाल ने मुलाकात तक नही की। उन्होने कहा कि अगर आप आदिवासियों की हितैषी बनती हैं तो कम से कम उनके प्रतिनिधिमंडल से ही मिल लेती। इतने दबाव में तो नही आना चाहिए। उन्होने कहा कि विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित विधेयक पर राज्यपाल को प्रश्न पूछने का हक नही हैं फिर भी अगर और भी वह प्रश्न पूछती हैं तो सरकार जवाब देने को तैयार हैं।
मोदी सरकार पर ईओडब्ल्यू को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मसले पर आड़े हाथों लेते हुए श्री बघेल ने कहा कि किस आधार पर यह आरक्षण दिया गया कोई कारण नही हैं। जबकि उनकी सरकार ने बकायदे आयोग बनाकर जातियों का सर्वेक्षण करवाकर फिर आरक्षण विधेयक को मंजूरी दिलवाई हैं। उन्होने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि राज्यपाल को सरकार चाहे जितनी बार उनके प्रश्नों का उत्तर दे दे उन्हे सन्तुष्ट होना नही है,क्योंकि विधेयक को मंजूरी नही देने का उन पर भाजपा का भारी दवाब हैं।
भूपेश बघेल ने कहा कि केन्द्र हो या फिर राज्य, भाजपा नही चाहती कि आरक्षित जातियों को आरक्षण का लाभ मिले।इसीलिए मोदी सरकार तेजी से निजीकरण कर रही हैं। हिडन एजेन्डा पर काम हो रहा हैं। ट्रेन,एयरपोर्ट,सिक्योरिटी सभी का निजीकरण हो रहा हैं। राज्य में तथा राज्य से होकर जाने वाली 35 ट्रेनों को हमेशा के लिए बन्द कर दिया गया और एक ट्रेन शुरू कर वाहवाही लूटने की कोशिश हो रही हैं।
उन्होने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि ईडी के अधिकारियों द्वारा पूछताछ के नाम पर लगातार की जा रही मारपीट को लेकर राज्य सरकार ने गृह मंत्रालय के आला अधिकारियों को पत्र लिखकर विरोध व्यक्त किया है और उनसे इसमें हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया हैं। उन्होने कहा कि भ्रष्टाचार हुआ हैं और ईडी के पास साक्ष्य है तो फिर मारपीट क्यों,और जबरिया बयान देने के लिए दबाव क्यों ? उन्होने कहा कि ईडी की गैरकानूनी मारपीट से कई लोग अभी भी अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं।