राजगीर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को औपचारिक तौर पर जदयू के अध्यक्ष नियुक्त कर दिए गए। अध्यक्ष नियुक्त हो जाने के बाद अब नीतीश राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका के लिए खुद को बेहतर तरीके से तैयार कर सकेंगे। बहरहाल, जदयू ने नीतीश को 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से परहेज किया। नालंदा जिले में यहां हुई जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पार्टी अध्यक्ष पद पर नीतीश की नियुक्ति का अनुमोदन किया गया। दिल्ली में पिछले महीने नामांकन आमंत्रित किए जाने के बाद जदयू अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के तौर पर सिर्फ नीतीश का नाम था और उन्हें निर्विरोध चुन लिया गया। देश के 23 राज्यों से आए पार्टी के राष्ट्रीय परिषद सदस्यों ने एकमत से बिहार के मुख्यमंत्री को जदयू अध्यक्ष नियुक्त करने के प्रस्ताव का समर्थन किया। राज्यसभा सदस्य हरिवंश की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया गया था। नीतीश ने अध्यक्ष पद पर अप्रैल में शरद यादव की जगह ली थी। जदयू राष्ट्रीय परिषद में हुई चर्चा के बारे में पत्रकारों को बताते हुए पार्टी के महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि जैसा बिहार में किया गया वैसे ही सांप्रदायिक ताकतों को मात देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर गैर-भाजपा पार्टियों का एक मजबूत विकल्प तैयार करने के लिए नीतीश को अधिकृत किया गया है। बिहार सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों विजेंद्र प्रसाद यादव और राजीव रंजन सिंह ललन के साथ पत्रकारों को संबोधित कर रहे त्यागी ने कहा कि भाजपा और आरएसएस को मात देने की उम्मीद के तौर पर उन्हें देखने वाले लोगों के एक बड़े तबके में नीतीश सबसे विश्वसनीय चेहरा हैं। बहरहाल, त्यागी ने साफ कर दिया कि जदयू ने कभी नहीं घोषित किया कि नीतीश 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी के उम्मीदवार होंगे। त्यागी ने कहा, धर्मनिरपेक्षतावादी, गैर-वंशवादी और गैर-जातिवादी साख के साथ वह (नीतीश) पूरी तरह प्रधानमंत्री बनने लायक हैं, लेकिन छोटी पार्टी होने के नाते जदयू ने कभी आधिकारिक तौर पर उन्हें 2019 के चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया।