नयी दिल्ली, खान पान और रहन सहन के अलावा भारतीयों के लिए हृदय संबंधी रोगों में आनुवांशिक जोखिम ज्यादा होता है।
विश्व डीएनए दिवस के अवसर पर सोमवार को यहां जारी एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जेनेटिक टेस्टिंग (आनुवांशिक परीक्षण) कराने वाले कुल लोगों में से 24 प्रतिशत लोगों को हृदय संबंधी रोग (सीएडी) होने का उच्च जोखिम है जबकि 29.5 प्रतिशत लोगों में अपने गुणसूत्र की संरचना के आधार पर उच्च एलडीए लेवल का ज्यादा जोखिम पाया गया है। इससे किसी व्यक्ति के सीएडी की चपेट में आने के जोखिम को प्रभावित करने में आनुवांशिक तत्वों का महत्व पता चलता है। सर्वेक्षण में आनुवांशिक परीक्षण की प्रक्रिया से गुजर चुके करीब 10 हजार लोगों से बातचीत की गयी।
सर्वेक्षणकर्ता इंडस हेल्थ प्लस के अध्ययन में सामने आया कि 90 प्रतिशत लोगों को विटामिन डी की कमी होने का आनुवांशिक जोखिम रहता है और 57.55 प्रतिशत लोगों को अपने गुणसूत्र की संचरना की बनावट के आधार पर विटामिन बी-12 की कमी होने का काफी आनुवांशिक जोखिम होता है। ये सब स्थितियां किसी व्यक्ति के हृदय के स्वास्थ्य में भी योगदान देती हैं।
भारत में जीवनशैली में गड़बड़ी से होने वाले रोगों जैसे डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर रोगों से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही यहां आनुवांशिक गड़बड़ी से प्रभावित लोगों की आबादी भी ज्यादा है। आनुवांशिक परीक्षण मुंह के लार (सलाइवा) से घर पर किया जा सकता है।