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अमित शाह के दौरे के बाद पश्चिम के सियासी पारे में उछाल

मुरादाबाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सियासी सरगर्मी में जबरदस्त तेजी आयी है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति में खेत-खलिहान और धरती पुत्रों का अहम दख़ल रहता है। यहां पहले दूसरे चरण के चुनाव 19 तथा 26 अप्रैल को होने हैं। लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही सभी राजनीतिक दल अपने-अपने प्रचार अभियान को तेज़ करने में जुट गए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को मुरादाबाद में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडलों के भाजपा संगठन से जुड़े पदाधिकारियों से लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बारे मे फीडबैक लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दे चुके हैं।

क़रीब ढाई महीने तक उत्तर प्रदेश में चलने वाली चुनावी प्रक्रिया को मद्देनजर रखते हुए सभी प्रमुख राजनीतिक दल सभी सीटों पर धुंआधार प्रचार की रणनीति के तहत चुनाव अभियान में लगे हुए हैं। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में पश्चिम उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद, रामपुर, नगीना, बिजनौर , सहारनपुर, बुलंदशहर, कैराना और मुजफ्फरनगर समेत आठ सीटों पर 19 अप्रैल को चुनाव होगा। वहीं दूसरे चरण में मेरठ, अमरोहा, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा शामिल है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश के 14 जिले की दलित मुस्लिम बाहुल्य आबादी की एकजुटता के चलते समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन ने 2019 में 14 में से सात सीटों पर जीत दर्ज की थी।

मुस्लिम बाहुल्य उक्त सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अमरोहा, नगीना, बिजनौर तथा सहारनपुर और उसके गठबंधन सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) ने मुरादाबाद, रामपुर तथा संभल सीट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि यह दीगर बात है कि उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने समाजवादी पार्टी (सपा) को शिकस्त देकर रामपुर सीट अपने नाम कर ली थी। इस बार उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अकेले चुनाव मैदान में है। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस गठबंधन एक साथ हैं, जबकि राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव में इंडिया गठबंधन लोकतंत्र बचाओ की हुंकार भर रहा है तो वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेरठ में रैली से चुनावी श्रीगणेश करते हुए भ्रष्टाचार खत्म करने की पीएम मोदी की गारंटी के साथ चुनावी शंखनाद किया है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश में दलित मतदाताओं की ख़ासी आबादी है तो वहीं दूसरी ओर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 23 से 42 फीसदी है। इसलिए दलित-मुस्लिम गठजोड़ हमेशा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भारी पड़ता रहा है। गठजोड़ की वज़ह से 2019 के लोकसभा चुनाव में अमरोहा, बिजनौर, नगीना सहारनपुर जैसी मुस्लिम-दलित बाहुल्य सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जीत का परचम लहराया था जबकि उसके गठबंधन सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) को मुरादाबाद, रामपुर और संभल सीट पर जीत मिली थी। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर, बागपत तथा मुजफ्फरनगर सीटों पर जीत दर्ज कराई थी।

अब 2024 के चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर छिड़े राजनीतिक दलों के बीच घमासान में जहां भारतीय जनता पार्टी के सामने मत प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती सामने है ,तो वहीं समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में मुस्लिम मतों के बिखराव रोकने को लेकर चिंतित समर्थकों में बैठकों का दौर लगातार जारी है।

दरअसल पश्चिम उत्तर प्रदेश के मिजाज में जातीय समीकरण, व वोटों का ध्रुवीकरण हावी रहता है। राजनीतिक हल्कों में इस बात को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं कि 19 और 26 अप्रैल को होने वाले पहले और दूसरे चरण के चुनाव से एक या दो दिन पहले यह तय हो जाएगा कि मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव किस पार्टी की ओर है।