नई दिल्ली : डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी (बीआरसी), आचार्य मनीष एवं डॉ सुनील चव्हाण ने आज नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में बहुप्रतीक्षित हिम्स मेडिकल एकेडमी (एचएमए) के शुभारंभ की घोषणा की।
विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर एकेडमी के ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का अनावरण किया गया। इस मौके पर, डॉ बीआरसी की 31वीं पुस्तक- पी.ओ.ई.एम. (आपातकालीन चिकित्सा प्रोटोकॉल) का विमोचन किया गया।
ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिए श्रीधर यूनिवर्सिटी और डिप्लोमा व डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए सनराइज यूनिवर्सिटी से संबद्ध हिम्स मेडिकल एकेडमी, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मान्यता प्राप्त और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित है। एचएमए कैम्पस पुणे, महाराष्ट्र में है, जबकि इसका कॉर्पोरेट कार्यालय फरीदाबाद, दिल्ली एनसीआर में है।
प्रेस को संबोधित करते हुए, डॉ बीआरसी ने कहा, “एचएमए भारत का पहला व एकमात्र संस्थान है जो प्राचीन ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ जोड़ता है। एकेडमी मानती है कि चिकित्सा शिक्षा का महत्व चिकित्सा उपचार से अधिक है। इस आदर्श वाक्य के साथ, एकेडमी में बैचलर्स डिग्री प्रोग्राम और कुछ फ्लेक्सिबल सर्टिफिकेशन कोर्स कराए जाते हैं, जिनमें एकीकृत चिकित्सा पर तीन माह का एक ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स और प्राकृतिक चिकित्सा व योग विज्ञान में 4.5 साल का स्नातक डिग्री प्रोग्राम (बीएनवाईएस) शामिल है।
हिम्स के संस्थापक, आचार्य मनीष ने कहा, ”जीवनशैली में परिवर्तन और आयुर्वेद की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों से प्राण-घातक रोगों का इलाज संभव है। हिम्स में शरीर की आंतरिक शक्ति को बढ़ाकर किडनी, कैंसर, लिवर, शुगर, बीपी और हृदय रोगों के खात्मे पर जोर दिया जाता है। विभिन्न अस्पतालों में ढेर सारा समय और पैसा खर्च करने के बाद अनेक डायलिसिस रोगी हमारे अस्पताल पहुंचते हैं, जहां हमारी टीम आवश्यक उपचार प्रदान करने के लिए अथक प्रयास करती है। इस तरह हमने किडनी फेल्योर, लिवर फेल्योर, कैंसर, हृदय रोग और थैलेसीमिया से पीड़ित अनेक गंभीर रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है।”
पी.ओ.ई.एम. किताब, तकनीकों का एक सेट है जिसका उपयोग 68 इमर्जेंसी मेडिकल स्थितियों में किसी संकटग्रस्त व्यक्ति को राहत प्रदान करने के लिए, न्यूनतम प्रशिक्षण प्राप्त एक आम इन्सान द्वारा किया जा सकता है। यह प्रोटोकॉल, डॉ बीआरसी की सोच का नतीजा है, जहां उन्होंने रोगी-केंद्रित परिणाम प्राप्त करने के लिए प्राचीन ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ जोड़ा है, वो भी आम घरों व रसोई में मौजूद सस्ती चीजों का प्रयोग करते हुए। आपातकालीन चिकित्सा स्थितियों के प्रबंधन के लिए हिम्स समूह के अस्पतालों में इस प्रोटोकॉल का नियमित रूप से पालन किया जाता है और यह एचएमए के बैचलर डिग्री (बीएनवाईएस) तथा डिप्लोमा कोर्स (डीएनवाईएस) के पाठ्यक्रमों में भी शामिल है।
हिम्स मेडिकल एकेडमी और किताब के लॉन्च कार्यक्रम में, सनराइज यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर कृष्ण नाथ पांडे व रजिस्ट्रार डॉ पंकज गुप्ता के अलावा, श्रीधर यूनिवर्सिटी के प्रो-वाइस चांसलर डॉ ओपी गुप्ता एवं डायमंड पॉकेट बुक्स के प्रकाशक नरेंद्र कुमार भी उपस्थित थे।
डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी पोषण के गणितीय मॉडल – डीआईपी डाइट के जनक हैं, जो भारत में (आयुष मंत्रालय), नेपाल में (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय), और मलेशिया की लिंकन यूनिवर्सिटी में हुए नैदानिक परीक्षणों के माध्यम से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, हड्डी रोगों व पुराने किडनी रोगों में प्रभावी है। पुराने किडनी रोगों को दूर करने में कारगर, गुरुत्वाकर्षण व ताप-आधारित उनके आविष्कार- ग्रैड सिस्टम के लिए वास्मे व इथियोपियाई दूतावास द्वारा उन्हें इनोवेशन अवार्ड 2024 से सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ बीआरसी एक इंजीनियरिंग स्नातक, मधुमेह में स्नातकोत्तर और मधुमेह व क्रोनिक किडनी रोगों में पीएचडी (मानद) हैं। अपनी 31 प्रकाशित किताबों के साथ, वह हिम्स ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स एंड मेडिकल कॉलेज का संचालन करते हैं, जो भारत, वियतनाम और मलेशिया में स्वास्थ्य देखभाल प्रयासों में सक्रिय रूप से संलग्न है। ई-बुक डाउनलोड करने के लिए,
रिपोर्टर-आभा यादव