मुंबई, लोकसभा चुनाव के तीन चरण तक की वोटिंग में मतदान प्रतिशत गिरने से निवेशकाें की बढ़ी चिंता के बीच ऊंचे भाव पर बिकवाली होने के लगातार जारी पैटर्न के दबाव में बीते सप्ताह डेढ़ प्रतिशत से अधिक लुढ़के घरेलू शेयर बाजार पर अगले सप्ताह खुदरा और थोक महंगाई तथा यूराेप और जापान के जीडीपी आंकड़े, फेड अध्यक्ष के होने वाले वक्तव्य और कंपनियों के तिमाही नतीजे का असर रहेगा।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1213.68 अंक अर्थात 1.64 प्रतिशत का गोता लगाकर सप्ताहांत पर 72664.47 अंक रह गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 420.65 अंक यानी 1.9 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 22055.20 अंक पर आ गया।
समीक्षाधीन सप्ताह में दिग्गज कंपनियों के मुकाबले बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में अधिक बिकवाली हुई। इससे मिडकैप 1386.78 अंक अर्थात 3.3 प्रतिशत लुढ़ककर सप्ताहांत पर 41027.75 अंक और स्मॉलकैप 1794.42 अंक यानी 3.8 प्रतिशत कमजोर होकर 45396.99 अंक पर रहा।
विश्लेषकों के अनुसार, पूरे सप्ताह के दौरान निवेशकों के तेजी के दौरान बेचने का विकल्प चुनने के एक उभरते पैटर्न के कारण पूरे सप्ताह घरेलू बाजारों में बड़े पैमाने पर गिरावट का रुख रहा। यह गिरावट घरेलू बाजार के प्रीमियम मूल्यांकन और लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत घटने से चुनावों को लेकर उपजी चिंताओं के कारण है। हालांकि वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में कंपनियों की आय काफी हद तक उम्मीदों के अनुरूप होने के बावजूद समग्र आय परिदृश्य में कमी देखी गई है।
वित्त वर्ष-25 की पहली छमाही में ग्रामीण मांग में सुधार की उम्मीद से एफएमसीजी और ऑटो समूह के शेयरों में मजबूती दिख रही है। वहीं, विकास की निर्माणाधीन परियोजनाओं को ऋण देने पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सख्त मानदंडों के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कमजोर प्रदर्शन किया। वैश्विक मोर्चे पर अमेरिका के कमजोर रोजगार आंकड़े ने फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित दर में कटौती की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। इसके अलावा बैंक ऑफ यूरोप (बीओई) के ब्याज दर को यथावत बनाए रखने के अपेक्षित रुख ने वैश्विक निवेश धारणा का समर्थन किया है।
उम्मीद की जा रही है कि चुनाव संबंधी अनिश्चितताओं के कारण घरेलू बाजारों में मौजूदा रुझान अल्पावधि में भी जारी रहेगा। आने वाले सप्ताह में निवेशकों की नजर भारत और अमेरिका में जारी होने वाली उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई तथा यूरोप और जापान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों के साथ ही फेड अध्यक्ष जेरोम पॉवेल के वक्तव्य पर रहेगी। इसके अलावा चौथी तिमाही के कंपनियों के नतीजों का अगला सेट भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेगा।
विश्व बाजार के मिलेजुले रुख के बीच स्थानीय स्तर पर रियल्टी, आईटी, टेक और हेल्थकेयर समेत सात समूहों में हुई लिवाली की बदौलत सोमवार को सेंसेक्स 17.39 अंक की मामूली बढ़त के साथ 73,895.54 अंक हो गया जबकि निफ्टी 33.15 अंक गिरकर 22,442.70 अंक रह गया। अमेरिकी फेड रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती करने की एक बार फिर उम्मीद जगने से विश्व बाजार में आई तेजी के बावजूद स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा बिकवाली के दबाव में मंगलवार को सेंसेक्स 383.69 अंक लुढ़ककर 73,511.85 अंक और निफ्टी 140.20 अंक की गिरावट लेकर 22,302.50 अंक पर बंद हुआ।
एशियाई बाजारों के नकारात्मक रुझान के दबाव में स्थानीय स्तर पर वित्तीय सेवाएं, आईटी, बैंकिंग और टेक समेत छह समूहों में हुई बिकवाली से बुधवार को सेंसेक्स फिसल गया जबकि निफ्टी हरे निशान पर बंद हुआ। सेंसेक्स 45.46 अंक उतरकर 73,466.39 अंक जबकि निफ्टी बढ़त के साथ 22,302.50 अंक पर रहा।
कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की भारी बिकवाली के दबाव में एलटी और रिलायंस समेत 25 दिग्गज कंपनियों के करीब छह प्रतिशत तक लुढ़कने से गुरुवार को बाज़ार में हाहाकर मच गया। सेंसेक्स 1062.22 अंक की भारी गिरावट लेकर करीब तीन सप्ताह के निचले स्तर 72,404.17 अंक और निफ़्टी 345.00 अंक का गोता लगाकर 22 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 21,957.50 अंक पर बंद हुआ।
अमेरिका में रोजगार के कमजोर आंकड़ों से निवेशकों के इस साल ब्याज दरों में कटौती शुरू होने की उम्मीद बढने से विश्व बाजार में आई तेजी की बदौलत स्थानीय स्तर पर कमोडिटीज, यूटिलिटीज, पावर, तेल एवं गैस और धातु समेत सोलह समूहों में हुई दमदार लिवाली से शुक्रवार को सेंसेक्स 260.30 अंक की छलांग लगाकर 72,664.47 अंक और निफ्टी 97.70 अंक मजबूत होकर 22,055.20 अंक हो गया।