गुरुग्राम, भारत में स्ट्रोक इमर्जेंसी को ध्यान में रखकर आर्टेमिस हॉस्पिटल्स ने एक नए कार्यक्रम, ‘‘समय’’ – स्ट्रोक, एक्टिंग विदिन, मिनट्स, एड्स टू, इयर्स की शुरुआत की है। यह कार्यक्रम स्ट्रोक केयर के क्षेत्र में क्रांति लाने और भारत में स्ट्रोक के बढ़ते संकट से निपटने के प्रयासों पर केंद्रित है। समय, एक्यूट स्ट्रोक केयर की दिशा में एक बड़ा कदम है और उन्नत चिकित्सा सेवाओं एवं परिणाम को बेहतर करने की दिशा में आर्टेमिस हॉस्पिटल्स की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
शामिल डॉक्टर्स-
कार्यक्रम के दौरान डॉ. सुमित सिंह (चीफ ऑफ न्यूरोलॉजी एंड स्ट्रोक सर्विसेज), डॉ. आदित्य गुप्ता (चेयरपर्सन – न्यूरोसर्जरी एंड सीएनएस रेडियोसर्जरी एवं को-चीफ – साइबरनाइफ सेंटर), डॉ. एस. के. राजन (चीफ – न्यूरो स्पाइन सर्जरी एवं एडिशनल डायरेक्टर – न्यूरोसर्जरी), डॉ. तारीक मतीन (चीफ एवं डायरेक्टर- न्यूरो इंटरवेंशन) तथा डॉ. सौरभ आनंद (चीफ ऑफ न्यूरोएनेस्थीसिया एंड न्यूरो क्रिटिकल केयर) उपस्थित रहे।
स्ट्रोक केयर के क्षेत्र की जटिल चुनौतियां-
इस पहल के बारे में आर्टेमिस हॉस्पिटल्स की एमडी डॉ. देवलीना चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘समय के साथ हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि स्ट्रोक के प्रत्येक मरीज को तत्काल एवं विशेष देखभाल प्राप्त हो। इसके साथ हम अपने न्यूरोसाइंस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रहे हैं, क्योंकि हम स्ट्रोक केयर के क्षेत्र की जटिल चुनौतियों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मेडिकल साइंस में प्रगति के बावजूद कई मरीजों को अपर्याप्त जागरूकता, स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित पहुंच और आपातकालीन प्रतिक्रियाओं में अक्षमता के कारण देरी का सामना करना पड़ता है। भारत में हर 4 मिनट में स्ट्रोक से एक मौत को देखते हुए तुरंत कदम उठाना बहुत महत्वपूर्ण है।’’
‘समय’ के रूप में पहल-
उन्होंने आगे कहा, बात जब स्ट्रोक के इलाज की हो, तो समय बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है और ऐसे में ‘समय’ के रूप में हमारी पहल से इस तरह की स्थिति में तेजी से एवं प्रभावी तरीके से कदम उठाने की हमारी क्षमता बढ़ेगी और स्ट्रोक के कारण जान गंवाने वालों की संख्या में कमी आएगी।
स्ट्रोक भारत में मृत्यु का दूसरा सबसे आम कारण है। भारत में हर साल लगभग 1,85,000 स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं। यानी लगभग हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार होता है और हर 4 मिनट में इससे एक व्यक्ति की जान चली जाती है।
रिपोर्टर-आभा यादव