शरदोत्सव का चंन्द्रमा वैसे तो अपनी 16 कलाओं के साथ चमकने की मान्यता के साथ चमकीला माना ही जाता रहा है, लेकिन इस बार वैज्ञानिक रूप से आज 17 अक्तूबर को उदित होने वाला चंद्रमा शरद सुपरमून के रूप में साल का सबसे चमकीला चंद्रमा होगा।
लखनऊ में उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की ओर से सुपर मून देखने की खास व्यवस्था की गई है इसके लिए लखनऊ की इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला ने लखनऊ विश्वविद्यालय को चार खगोलीय दूरबीन उपलब्ध कराई हैं विश्वविद्यालय के ज्योतिर्विज्ञान विभाग में लोग निशुल्क सूर्य और सुपरमून के दर्शन कर सकते हैं। भारत के समयानुसार दोपहर बाद 4 बजकर 56 मिनट पर यह सबसे निकट बिंदु पर आयेगा और इसके लगभग 1 घंटे बाद ही यह पूर्व दिशा में शरद सुपरमून के रूप में उदित होकर रात भर आकाश में अपनी चांदनी बिखेरेगा।
पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता चंद्रमा गोलाकार पथ में नहीं घूमता, बल्कि अंडाकार पथ में चक्कर लगाता है। इस कारण इसकी पृथ्वी से दूरी बढ़कर कभी चार लाख छह हजार सात सौ किलोमीटर (406,700 किमी) हो जाती है तो कभी यह तीन लाख छप्पन हजार पांच सौ किलोमीटर (356,500 किमी) तक पास भी आ जाता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के पास आया हो और उस समय पूर्णिमा आती है तो चंद्रमा लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखाई देता है। इसे ही सुपरमून कहा जाता है। गुरूवार को साल का सबसे नजदीकी सुपरमून है।