कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में सुकरौली ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय बंगरा देउर में तैनात एक शिक्षक की पत्नी ने अपने पति का जीवन सुरक्षित करने के लिए खुद की परवाह न करते हुए अपनी किड़नी पति को दे दी और इस तरह से सती सावित्री से भी एक कदम आगे जाते हुए अपने सुहाग की रक्षा की।
पत्नी से मिले जीवनदान के बदौलत शिक्षक परिषदीय विद्यालय के गरीब बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं। एक-एक किडनी पर जीवन की नैया पार करने वाले दोनों पति-पत्नी दिनचर्या में बदलाव कर डॉक्टरों की सलाह पर जीवन को आगे बढ़ा रहे हैं। इलाके में इसकी मिसाल दी जाती है।
खोट्ठा गांव निवासी महेंद्र कुमार की शादी वर्ष 1994 में सुनीता के साथ हुई। पढाई में होनहार महेंद्र ने शादी के बाद तैयारी करके बीटीसी भर्ती में सफल हुए और 1997 में जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में तमकुही ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बरवां पट्टी में शिक्षक के पद पर तैनात हुये। महेंद्र 2006 में सुकरौली ब्लॉक के कंपोजिट स्कूल बंगरा देउर में प्रमोशन मिलने पर प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात हैं। दोनों से तीन बच्चे भी हुये, लेकिन इनके जीवन में उस समय भूचाल आ गया, जब महेंद्र की तबियत यकायक वर्ष 2010 में खराब हुई। डॉक्टरों की टीम ने उन्हें बताया कि उनकी दोनों किडनी खराब हो गई है। बीमार होने पर लगातार डायलसिस कराना पड़ता था।
इससे पूरा परिवार परेशान था। इस दौरान उनके दूसरे बेटे को चोट लगने के कारण पैर में गंभीर चोट लगी। उसका इलाज गोरखपुर चल रहा था कि उसकी भी तबीयत यकायक ज्यादा खराब हो गई। इलाज के दौरान शिक्षक के पिता ने अपनी एक किडनी बेटे को देने का निर्णय लिया, लेकिन जांच में उनका मैच न होने पर पत्नी संगीता, पति को जीवनदान के लिए आगे आयी। पत्नी ने अपनी एक किडनी पति को देकर सती सावित्री की भूमिका निभाई। इसके बाद से शिक्षक लगातार समय से स्कूल पहुंचकर गरीब बच्चों के भविष्य को संवार रहे हैं। दोनों पति-पत्नी एक साथ सामन्यजस्य बनाकर डॉक्टर के भोजन चार्ट का अनुपालन कर जीवन के गाड़ी को आगे बढा रहे हैं। इलाके के लोग उनके आपसी प्रेम व विश्वास की नजीर देते हैं।
इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकार डा रामजियावन मौर्य ने कहा कि शिक्षक महेंद्र कुमार और उनकी पत्नी का जीवन प्रेम, त्याग व समर्पण की मिसाल है। उनके जीवन से अन्य शिक्षक तथा बिखरते परिवार के पति-पत्नी को सीख लेनी चाहिए। जीवन के पहिए को चलाने के लिए पति-पत्नी दोनों की जरुरत होती है। उनका शिक्षक तथा व्यक्तिगत जीवन दोनों बेमिसाल है। उनके विद्यालय से कभी शिकायत नहीं मिली है। वह बच्चों को बेहतर तरीके से पढाते हैं।