लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ. अश्विन फर्नांडीस द्वारा रचित पुस्तक “मोडियालॉग” का विमोचन किया, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम “मन की बात“ के 100 एपिसोड पर आधारित है।
डॉ. फर्नांडिस ने अपनी पुस्तक “मोडियालॉग” के बारे में भी चर्चा की, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के “मन की बात” के 100 एपिसोड शामिल हैं। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में किए गए कार्यों की सराहना की।
राज्यपाल ने इस अवसर पर क्यू.एस. एशिया रैंकिंग में स्थान प्राप्त करने वाले प्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों को भी सम्मानित किया। उन्हाेंने क्यू.एस. एशिया रैंकिंग में सफलता प्राप्त करने वाले 18 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और उनकी टीम को बधाई दी और कहा कि सफलता के लिए रुचि और संकल्प की आवश्यकता होती है, और अगर दोनों हैं तो कोई भी काम कठिन नहीं होता। उन्होंने इस सफलता के पीछे विश्वविद्यालयों द्वारा किए गए सुधारात्मक प्रयासों को भी सराहा।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता एवं रैंकिंग उन्नयन हेतु किये जाने वाले अपने कार्यानुभवों को साझा किया तथा इस दौरान आने वाली चुनौतियों की भी चर्चा की। उन्होंने विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी बढ़ाने और टीम वर्क को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। राज्यपाल ने निर्देश देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुसार महाविद्यालयों की सम्बद्धता हो तथा विश्वविद्यालय परिसर की भूमि का समुचित उपयोग किया जाए। इस क्रम में उन्होंने बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय के नये कैम्पस का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां भूमि का समुचित उपयोग हुआ है। उन्होंने केंद्र सरकार की दूरदर्शिता की सराहना करते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय के पुरावशेष पर निर्मित नये कैम्पस में सोलर ऊर्जा एवं आधुनिक तकनीकी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपतियों एवं अधिकारियों को नालंदा विश्वविद्यालय के नये कैम्पस में जाने की सलाह दी। राज्यपाल ने सभी उपस्थित जनों को अपनी प्रतिभा का सही इस्तेमाल करने का आह्वान किया।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों के साथ संवाद की प्रक्रिया को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण आपस में सक्रिय संवाद स्थापित करें और सुधारात्मक उपायों को अपने विश्वविद्यालयों में लागू करें। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच पारिवारिक रिश्ते की भावना होनी चाहिए, क्योंकि शिक्षक छात्रों के अभिभावक होते हैं।
इस अवसर पर प्रदेश के जिन 18 विश्वविद्यालयों को क्यू.एस. एशिया रैंकिंग में स्थान प्राप्त हुआ, उन्हें राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया। इनमें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर, मदन मोहन मालवीय प्रौद्यागिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर, महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज और आईआईटी कानपुर एवं वाराणसी, गलघोटिया विश्वविद्यालय, नोएडा, शारदा विश्वविद्यालय, नोएडा, सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, प्रयागराज, इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा, मोतीलाल नेहरू एनआईटी, इलाहाबाद, शिव नाडर विश्वविद्यालय, नोएडा शामिल हैं।
मोडियालॉग पुस्तक के लेखक एवं कार्यकारी निदेशक, अफ्रीका क्यू.एस. एशिया एवं वर्ल्ड रैंकिंग, डॉ. अश्विन फर्नांडीस ने क्यू.एस. संस्था के बारे में बताया। डॉ. फर्नांडिस ने क्यू.एस. एशिया रैंकिंग में विश्व के 900 विश्वविद्यालयों में से भारत के 163 विश्वविद्यालयों को स्थान प्राप्त होने पर खुशी जताते हुए कहा कि इनमें उत्तर प्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों का भी समावेश है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 10 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश का कोई विश्वविद्यालय इस रैंकिंग में जगह नहीं बना पाया था, लेकिन आज राज्य के छह राज्य विश्वविद्यालय, तीन केंद्रीय विश्वविद्यालय, दो आई.आई.टी. एवं सात निजी विश्वविद्यालय इस रैंकिंग में शामिल हैं।
अपर मुख्य सचिव, राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक गुणवत्ता में निरंतर सुधार की सराहना की और इसे राज्य के उच्च शिक्षा जगत का स्वर्णिम काल बताया। उन्होंने कहा कि क्यू.एस. रैंकिंग में स्थान पाने से प्रदेश के विश्वविद्यालयों की वैश्विक पहचान बनी है, जिससे विद्यार्थियों को प्रदेश में ही उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल रही है और शिक्षा हेतु पलायन की दर कम हो रही है।
कार्यक्रम में विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ. पंकज एल. जानी, विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, शिक्षक, छात्र-छात्राएं और राजभवन के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।