नयी दिल्ली, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में उत्साह भरे नतीजों को हासिल करने के बाद विधानसभाओं के चुनावों में पार्टी को धक्का लगा है, लेकिन इससे हताश होने की बजाय कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए कठोर निर्णय लेने की जरूरत है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को यहां कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारिक संस्था कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी को पराजय से हताश होने की जरूरत नहीं है बल्कि नए संकल्प के साथ जमीनी स्तर से काम करते हुए समय के अनुसार बदलाव लाने की जरूरत है। पार्टी ने पहले भी चुनौतियों पर विजय पाई है, इसलिए मौजूदा चुनौतियों से पार पाते हुए आगे बढ़ना होगा।
उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस पार्टी ने नए जोश-खरोश के साथ वापसी की थी, लेकिन उसके बाद हुए तीन राज्यों के चुनावी नतीजे हमारी उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे। इंडिया समूह ने चार में से दो राज्यों में सरकार बनाई, लेकिन प्रदर्शन उम्मीदों के अनुकूल नहीं रहा। ये चुनाव परिणाम भविष्य के लिहाज से हमारे लिए चुनौती है। हमें चुनावी नतीजों से सबक लेते हुए संगठन के स्तर पर अपनी सभी कमजोरियों और खामियों को दुरुस्त करने की जरूरत है। ये नतीजे हमारे लिए संदेश है।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने आपसी एकता पर जोर दिया और कहा “सबसे अहम बात यह है कि आपसी एकता की कमी और एक दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है। जब तक हम एक हो कर चुनाव नहीं लड़ेंगे, आपस में एक दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाजी का सिलसिला बंद नहीं करेंगे, तो अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे। हमारी तैयारी आरंभ से मतगणना तक ऐसी होनी चाहिए कि हमारे कार्यकर्ता और सिस्टम मुस्तैदी से काम करें। इसमें महत्वपूर्ण यह भी है कि हम पुराने ढर्रे पर चलते हुए हर समय सफलता नहीं पा सकते। राजनीतिक प्रतिद्वंदी क्या कर रहा है, इसे रोज़मर्रा में देखना होगा और उसी हिसाब से निर्णय लेने होंगे। जवाबदेही तय करनी होगी। मैं मानता हूँ कि ईवीएम ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है। देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करवाना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है। बार-बार ये सवाल उठ रहे हैं कि किस हद तक ये दायित्व निभाया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “हमें सत्ता में बैठी विभाजनकारी ताकतों को हर हालत में हराना है। देश में तरक़्क़ी, अमन-चैन और भाई-चारा वापस स्थापित करना है, क्योंकि हमने ये शानदार देश बनाया है। देश के करोड़ों लोग हमें शक्ति देने के लिए तैयार हैं। हमारा इंतज़ार कर रहे हैं। हम उन्हें निराश नहीं कर सकते। हम चुनाव भले ही हारे हो पर इसमें कोई शक नहीं कि बेरोज़गारी, महंगाई, आर्थिक असमानता, इस देश के ज्वलंत मुद्दे हैं। जाति जनगणना भी आज का एक अहम मसला है। संविधान, सामाजिक न्याय और सौहार्द जैसे मसले जन-जन के मुद्दे है।”