नयी दिल्ली, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को दिल्ली विधान सभा के नवनिर्वाचित सदस्यों से इसे आदर्श विधान सभा बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि नयी सरकार से लोगों को बहुत अधिक अपेक्षाएं हैं।
ओम बिरला ने आज दिल्ली विधान सभा परिसर में दिल्ली विधान सभा सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सदस्यों को लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करते समय लोकतांत्रिक भावना और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखते हुए सदन के नियमों, प्रक्रियाओं और परंपराओं का पालन करना चाहिए। उन्होंने विधानमंडल को कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अधिक प्रभावी मंच बनाने के लिए तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग और सदस्यों के क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया।
ओम बिरला ने कहा कि सदन में किसी भी प्रकार का गतिरोध नहीं होना चाहिए तथा असहमति को गरिमापूर्ण ढंग से तथा सार्थक संवाद के माध्यम से व्यक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने सदयों से सार्वजनिक जीवन में आचरण तथा नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने का आग्रह किया।
अध्यक्ष ने सदस्यों से परंपराओं को कायम रखने तथा उन्हें और मजबूत बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विधायकों का आचरण तथा विधान सभा में उनके कार्य तथा चर्चाएं देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत बनाती हैं।
ओम बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अच्छे श्रोता बनने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि सुनना भी उतना ही जरूरी है जितना अपनी बात कहना।अच्छा वक्ता बनने के लिए अच्छा श्रोता बनना आवश्यक है। श्री उन्होंने कहा कि पुरानी चर्चा-संवाद के अध्ययन के साथ ही कानूनों तथा नए विचारों को सीखने तथा समझने की सोच के साथ काम करना आवश्यक है। जनप्रतिनिधियों को विधान सभा के नियमों और प्रक्रियाओं, भारत के संविधान, विशेषकर उन धाराओं से परिचित होना चाहिए जो आपके राज्य, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से संबंधित हैं।
ओम बिरला ने विधायी प्रारूपण के ज्ञान के महत्व को दोहराते हुए कहा कि विधायी प्रारूपण में कुशल जनप्रतिनिधि अपने राज्य के विकास और शासन में सार्थक योगदान दे सकते हैं। अच्छे विधायी प्रारूपण के माध्यम से, विधायक विधान सभा की मदद कर सकता है तथा प्रभावी कानून बनाने और लोगों तक सेवाएँ बेहतर ढंग से पहुंचाने में सरकार की मदद कर सकता है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का आधार संवाद और आम सहमति है, इसलिए संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका सकारात्मक और रचनात्मक होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सदस्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी भाषा, आचरण और तर्क संसदीय मानदंडों के अनुरूप हों। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और उनके सकारात्मक योगदान से लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होती है।
इस अवसर पर दिल्ली विधान सभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि प्रबोधन कार्यक्रम न केवल विधायी दायित्वों को बेहतर ढंग से समझने का अवसर है, बल्कि एक-दूसरे से सीखने और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने का मंच भी है। उन्होंने नए सदस्यों से नियम पुस्तिका, विशेष रूप से आचार संहिता को अच्छी तरह से पढ़ने और सदन की कार्यवाही के दौरान इन दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया।
श्री गुप्ता ने याद दिलाया कि सदन में बोलने से पहले अध्यक्ष की अनुमति आवश्यक है। विपक्ष में अपने अनुभव से उन्होंने कहा कि कम संख्या होने के बावजूद सरकार विपक्ष की बात सुनने के लिए बाध्य है। उन्होंने विधायकों को विभिन्न समितियों के बारे में जानकारी दी, जिन्हें अक्सर “मिनी सदन” कहा जाता है और जो शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इन समितियों का गठन आगामी वित्तीय वर्ष में किया जाएगा।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली की प्रगति, समृद्धि और विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और हर पल का उपयोग लोगों की बेहतरी के लिए करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा,“ दिल्ली के लोगों ने हम पर बहुत भरोसा किया है। हर पल कीमती है।इसका सम्मान और सही ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए।हमारा एकमात्र उद्देश्य दिल्ली की प्रगति है और आज जो सौहार्दपूर्ण माहौल है, उसे अगले पांच साल तक भी बनाए रखना चाहिए। विकास मार्ग में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है।”