सस्ती राजनीति से देश का माहौल खराब ना करें दल : मायावती

लखनऊ, बिहार में कांग्रेस के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की गई अभद्र टिप्पणी मामले की आलोचना करते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि देश के उच्च पदों पर बैठे लोगों के बारे में अभद्र, अशोभनीय, अमर्यादित व असंसदीय टिप्पणी सार्वजनिक तौर पर करके उनकी व देश की छवि को भी धूमिल करने का प्रयास है।
उन्होने कहा कि ऐसी घटनाये अति-दुखद व चिन्तनीय है। उनकी पार्टी दूषित व ज़हरीली राजनीति के ख़िलाफ है और दूसरों से भी यही उम्मीद करती है कि वे देश व आमजन के हित में घिनौनी स्वार्थ की राजनीति करने से दूर रहें।
शुक्रवार को सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए मायावती ने लिखा “ देश में ख़ासकर राजनैतिक स्वार्थ के कारण राजनीति का गिरता हुआ स्तर अति-दुखद एवं चिन्तनीय है। उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में सभी पार्टियों की राजनीति, पार्टी के संविधान के हिसाब से विचार और सिद्धान्तों के आधार पर, देश व करोड़ों ग़रीबों व आमजन के हित में होनी चाहिये। जो कि ख़ासकर पिछले कुछ वर्षों से सही से देखने को नहीं मिल रहा है। जबकि इस दौरान् देश के सामने विभिन्न प्रकार की आन्तरिक एवं बाहरी चुनौतियाँ काफी बढ़ी हैं।”
उन्होने कहा “ इतना ही नहीं बल्कि देश के उच्च सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं व विशेषकर राजनीति में उच्च पदों पर बैठे लोगों के बारे में जिस प्रकार की अभद्र, अशोभनीय, अमर्यादित व असंसदीय टिप्पणी आदि सार्वजनिक तौर पर करके उनकी व देश की छवि को भी धूमिल करने के जो प्रयास किये जा रहे हैं। वह अति-दुखद व चिन्तनीय। ख़ासकर चुनाव के समय यह प्रक्रिया और भी अधिक विषैली व हिंसक हो जाती है। इसी क्रम में अभी बिहार में भी जो कुछ देखने व सूनने को मिला है वह देश की चिन्ता को बढ़ाने वाला है।”
बसपा अध्यक्ष ने कहा “ हमारी पार्टी शुरू से ही ‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ के अम्बेडकरवादी सिद्धान्त और नीति पर आयरन दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ पार्टी व सरकार चलाने का साहस दिखाने वाली पार्टी होने के कारण किसी भी प्रकार की दूषित व ज़हरीली राजनीति के ख़िलाफ है। दूसरों से भी यही उम्मीद करती है कि वे देश व आमजन के हित में घिनौनी स्वार्थ की राजनीति करने से दूर रहें। एक-दूसरे को ज़बरदस्ती नीचा दिखाने की सस्ती राजनीति से देश का माहौल खराब ना करें तो बेहतर।”
मायावती ने कहा “ बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का आदर्श कल्याणकारी भारतीय संविधान, भारत के करोड़ों लोगों के हित, सुरक्षा व उनके आत्म-सम्मान को सर्वोपरि मानते हुये, हर संवैधानिक संस्था को अपनी-अपनी निर्धारित सीमा में रहकर कार्य करने अर्थात् उन सबके लिए चेक एण्ड बैलेन्स की गारण्टी सुनिश्चित की है। जिस पर सही से अमल करके ही हालात को बिगड़ने से ज़रूर बचाया जा सकता है।”





