बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद मायावती ने ने कहा है कि असहिष्णुता व असहनशीलता एवं उपेक्षित व लाचार लोगांे को दबाकर रखना, उन्हंे प्रताडित करना एक प्रकार की ”सामाजिक बीमारी“ के रूप मंे जाना जाता है। इस सम्बन्ध्ा मंे सरकारांे की यह जि़म्मेदारी है कि ऐसे उग्र व आसामाजिक तत्वांे के खिलाफ ”समुचित कानूनी कार्रवाई“ की जाये तथा इन पर अंकुश लगाकर इन्हंे और आगे बढ़ने से हर प्रकार से रोका जाये।
हालांकि यह प्रवृत्ति भी आम रही है कि विरोध्ाी पार्टियांे की सरकारंे अगर खुलेआम नहीं तो चोरी-छुपे ही सही ऐसे नापाक तत्वांे असामाजिक तत्वांे को सहायता व संरक्षण देती रही हंै, लेकिन इसके बावजूद भी इस प्रकार का ग़लत संरक्षण पाने वाले आसामाजिक व उग्र तत्वांे की हिम्मत कभी भी इतनी ज़îादा नहीं बढ़ पायी थी कि वे एक प्रकार से ”अराजक तत्व“ बन जाये, जो देश के लोग उद्ववेलित कर दे।
भाजपा के नेतृत्व मंे केन्द्र मंे नई सरकार बनने के बाद भाजपा और उनकी संरक्षक संस्था के लोग इतने ज्यादा असहनशील, असहिष्णु व उग्र हो गये हंै कि पूरे देश का सामाजिक व साम्प्रदायिक माहौल काफी ज्यादा बिगड़ने लगा है। देश मंे लगातार बढ़ रही असहिष्णुता और असहनशीलता के बीच अमर्यादित एवं घृणा भरी बयानबाज़ी कर भाजपा पर अशान्ति फैलाने का आरोप लगाते हुये उन्हांेने कहा कि देश की ऐसी परिस्थिति पर चिन्तित होना और उसके समाध्ाान का रास्ता तलाश करने के लिये गंभीर बहस करना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, क्यांेकि देश का हित इन मामलांे से सीध्ाा-सीध्ाा जुड़ा हुआ है।
बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद मायावती ने असम के राज्यपाल पी बी आचार्य को गैरजिम्मेदाराना बयान के लिये आज बर्खास्त किये जाने की मांग की। सुश्री मायावती ने कहा कि आचार्य का यह बयान कि हिन्दुस्तान केवल हिन्दुओं के लिए है, गैर जिम्मेदाराना है और उनके पद की गरिमा के प्रतिकूल है। इसलिये उन्हे तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर नियमानुसार क़ानूनी कार्रवाई की जानी चाहिये। उन्हांेने कहा कि संवैध्ाानिक पद पर बैठे व्यक्ति को यह थोड़ा भी शोभा नहीं देता है कि वे संविध्ाान के विपरीत जा कर अत्यंत ही विवादित व अमार्यादित बयान दंे मगर दुर्भाग्यवश भाजपा की केन्द्र सरकार ने इस प्रकार की दूषित सोच रखने वाले लोगांे को संवैध्ाानिक पदांे पर बैठाया हुआ है।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि भारत विभिन्न जातियांे व विभिन्न ध्ार्मों से जुड़ा हुआ देश है और अनेकता मंे एकता ही हमेशा ही इसकी खूबसूरती व शक्ति भी रही है। भारत को किसी एक जाति व किसी एक ध्ार्म से जोड़ना भारतीय आदर्श, परम्परा व भारतीय संविध्ाान की गरिमा के पूरी तरह से विरूद्व होगा।
आचार्य के खिलाफ कार्रवाई करके मोदी को यह साबित करना चाहिये कि वह खाली उपदेश नहीं देते, बल्कि अपनी कथनी के प्रति थोड़ा संवेदनशील व गंभीर भी हंै।