सड़क निर्माण में हो रहा प्लास्टिक कचरे का प्रयोग

नयी दिल्ली, स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश भर के शहरों से प्रतिदिन निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे कचरे का निस्तारण तेजी से हो रहा है।
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से गुरुवार को बताया गया कि यह पहल प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता की कहानी है, जिसे स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत बढ़ावा दिया जा रहा है। इस पहल ने शहरी स्थानीय निकायों को गैर-पुनर्चक्रण योग्य प्लास्टिक वेस्ट को शहर के बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से सड़कों के निर्माण में उपयोग करने के लिए प्रेरित किया है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्लास्टिक वेस्ट का पुन: इस्तेमाल सड़कों के निर्माण में व्यापक रूप से किया जा रहा है और सभी शहरी स्थानीय निकायों को बिटुमेन सड़कों के निर्माण के दौरान प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग करने की सलाह दी गई है। वर्ष 2015 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पाँच लाख से अधिक आबादी वाले शहरी क्षेत्रों के 50 किमी की परिधि में राष्ट्रीय राजमार्ग के नवीनीकरण के लिए बिटुमिनस मिक्स में प्लास्टिक कचरे का उपयोग अनिवार्य कर दिया।
उन्होंने कहा कि स्टिक वेस्ट का उपयोग सड़क निर्माण में एक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया जाता है, मुख्य रूप से शुष्क प्रक्रिया के माध्यम से, जहां इसे पारंपरिक कोलतार (बिटुमेन) और गिट्टी (एग्रीगेट) के मिश्रण में मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में प्लास्टिक, कोलतार के गुणों को बेहतर बनाता है, जिससे सड़कें अधिक टिकाऊ और जल प्रतिरोधी बनती हैं। इस दिशा में एक नई पहल के रूप में सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग करने के लिए जियोसेल तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है। हाल ही में इसका पहला बड़ा फील्ड ट्रायल दिल्ली-एनसीआर में डीएनडी –फरीदाबाद–केएमपी एक्सप्रेसवे के लूप संख्या 1 के ऊंचे खंड पर किया गया है।
वर्तमान में कई राज्यों में शहरों और नगर निगम क्षेत्रों में प्लास्टिक के इस्तेमाल से सड़क निर्माण किया जा चुका है और ज्यादा से ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट खपाने के लिए यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। इनमें तमिलनाडु के चेन्नई, महाराष्ट्र के पुणे, कर्नाटक में बेंगलुरु, झारखंड में जमशेदपुर, गुजरात में सूरत, उत्तर प्रदेश में लखनऊ एवं गाजियाबाद, असम में गुवाहटी, दिल्ली/एनसीआर क्षेत्र, हरियाणा के गुरुग्राम और ओडिशा के कुछ शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र इत्यादि शामिल हैं।
प्लास्टिक वेस्ट से सड़क निर्माण की यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कथन के अनुसार ‘कचरे से कंचन’ की अवधारणा को परिभाषित करती है। स्वच्छ भारत मिशन के दौरान 2014 से लेकर अब 2025 तक, इन 11 वर्षों के दौरान प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन में एक अभूतपूर्व बदलाव लाया गया है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के अंतर्गत ‘प्लास्टिक वेस्ट से सड़क निर्माण’ की तकनीक, स्वच्छता को टिकाऊ बुनियादी ढांचे के साथ जोड़ रही है, जो सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के साथ-साथ ‘स्वच्छता से समृद्धि’ और ‘विकसित भारत’ की ओर एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।





