‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाने वाला गिरोह बेनकाब, एक सदस्य गिरफ्तार

लखनऊ, उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने साइबर अपराधियों के एक संगठित गिरोह के सदस्य को लखनऊ से गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है। आरोपी खुद को पुलिस/नारकोटिक्स/क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर लोगों को “डिजिटल अरेस्ट” का भय दिखाता था और उनसे बड़ी रकम ठग लेता था।
गिरफ्तार आरोपी के कब्जे से दो मोबाइल फोन, एक पेन ड्राइव, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, ब्लैंक चेक, एटीएम कार्ड, नकद एक हजार रुपये समेत अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है।
एसटीएफ के अनुसार, मामला तब सामने आया जब गिरोह के सदस्यों ने डॉ. वीरेन सिंह नामक व्यक्ति को कॉल कर कहा कि उनके बैंक खाते से 95 लाख रुपये की अवैध विदेशी लेनदेन हुई है। आरोपी खुद को जांच अधिकारी बताकर पीड़ित का ई-केवाईसी और अन्य दस्तावेज हासिल कर लेते थे तथा रकम ट्रांसफर करने का दबाव बनाते थे। डर के चलते पीड़ित ने अपराधियों के बताए खातों में 11 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। बाद में पीड़ित ने राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत का संज्ञान लेते हुए एसटीएफ की टीम ने तकनीकी व साइबर विश्लेषण के आधार पर जांच शुरू की। जांच में यह स्थापित हुआ कि इस ठगी में संगठित गिरोह के कई सदस्य शामिल हैं, जिनका नेटवर्क उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों तक फैला है।
घटना के अनावरण को लेकर एसटीएफ ने जाल बिछा दिया। इस दौरान एक दिन पूर्व गुरुवार को रात्रि में सूचना मिली कि गिरोह का एक सदस्य फीनिक्स मॉल के पास मौजूद है। जिस पर एसटीएफ ने मौके पर पहुंच कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपित की पहचान प्रदीप सोनी पुत्र मुलना लाल सोनी, निवासी 60 दुर्गा मार्ग गली नंबर-10, वार्ड नंबर-18, ढलकपुरा, थाना कोतवाली, जिला विदिशा (मध्य प्रदेश), के रूप में हुई है।
गिरफ्तारी के बाद प्रदीप सोनी ने पूछताछ में बताया कि कॉलर गिरोह पीड़ितों को डिजिटल अरेस्ट, एनआईए या अन्य सुरक्षा एजेंसियों के नाम पर धमकाता था। इसके बाद पीड़ित का विश्वास जीतकर बैंक खातों को फ्रीज किए जाने और गिरफ्तारी की चेतावनी दी जाती थी। फिर ई-वॉलेट, क्रिप्टोकरेंसी व फर्जी बैंक खातों में रकम ट्रांसफर कराई जाती थी।
उसने यह भी बताया कि पिछले एक वर्ष से वह रोहित नामक व्यक्ति के संपर्क में आकर गिरोह के लिए बैंक खाता उपलब्ध कराता था, जिसके बदले उसे कमीशन मिलता था। गिरोह के अन्य सदस्य जानकारी छिपाने के लिए लगातार वॉट्सऐप कॉल और वर्चुअल नंबरों का उपयोग करते थे।
आरोपी के विरुद्ध थाना साइबर क्राइम, लखनऊ में
धारा 318(4), 319(2), 351(4), 308(2), 308(3), 308(4), 338, 336(3)(a), 204(2)(i)(2) भारतीय दंड संहिता तथा आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। एसटीएफ अधिकारियों के अनुसार, गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की फोरेंसिक जांच कराई जा रही है।
एसटीएफ ने नागरिकों को सावधान करते हुए कहा है कि किसी भी अज्ञात व्यक्ति द्वारा डिजिटल अरेस्ट या पुलिस/एजेंसी का नाम लेकर कॉल आने पर तुरंत 1930 या नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराएं।





