बाबा साहब डॉ० भीमराव आंबेडकर के 69 वें परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

लखनऊ,  बाबा साहब डॉ० भीमराव आंबेडकर के 69 वें परिनिर्वाण दिवस पर आज भारत जन ज्ञान- विज्ञान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री हरीश चन्द्र आई०ए०एस०(अ०प्रा०) की अध्यक्षता में इंदिरा नगर स्थित समिति के कार्यालय में एक संगोष्ठी एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें बाबा साहब के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात उपस्थित वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व, विचार एवं देश के लिए किए गए योगदान पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया तथा अपनी ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर श्री अनीश अंसारी आई० ए० एस०(अ०प्रा०) ने भी बाबा साहब के देश के लिए किए गए योगदान पर विस्तृत प्रकाश डाला।

संगोष्ठी को संबंध करते हुए हरीश चन्द्र ने कहां कि बाबा साहब के त्याग और बलिदान से हमारा समाज आज कितना सीख पाया है यह एक विचारणीय प्रश्न है। बाबा साहब के समय का समाज उतना जागरूक नहीं था फिर भी उन्होंने जाति विनाश का पूरा प्रयास किया और इसके लिए जिंदगी भर लड़ते रहे, किंतु समाज के कतिपय लोभी- दलालों की जो जमात खड़ी हुई उसने बाबा साहब के त्याग और बलिदान को तिलांजलि देने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि ऐसे दलाल और लोभियों ने बाबा साहब का नाम लेकर अपना ही हित साधन किया। ऐसे लोगों से विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने खून की आखिरी बूंद तक संविधान की रक्षा करनी है। इसके लिए सभी लोगों को एकजुट होकर प्रयास करते रहना है ।

संगोष्ठी से को संबोधित करते हुए हरीश चन्द्र ने कहा कि बाबा साहब चाहते तो अपनी योग्यता की बदौलत बहुत अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते थे किंतु उन्होंने शोषित पीड़ित की व्यथा का खात्मा करने के मिशन में अपना पूरा जीवन लगा दिया। उन्होंने कहा कि बाबा साहब का सपना था कि समाज की जीर्ण – शीर्ण व्यवस्था की जगह नया समाज बनाना है।

इस अवसर पर डॉ० रामनरेश यादव, डॉ० सुशील यादव, गिरीश चंद्र वर्मा, लाल बिहारी, बसंत लाल तथा जवाहरलाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी बाबा साहब के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए अपने-अपने विचार व्यक्त किये ।
इस अवसर पर श्री अखिलेश यादव, निशांत, प्यारेलाल तथा प्रहलाद सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

सभा का सफल संचालन सुरेश उजाला (पूर्व उप सूचना निदेशक) ने किया। उन्होंने अपने सफल संचालन के साथ ही साथ बाबा साहब से संबंधित अपनी कविताओं से पूरी संगोष्ठी को गरिमामय बना दिया।

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