अखिलेश यादव ने कहा,वंदेमातरम गाने से ज्यादा निभाना जरूरी

लखनऊ, समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रवादी नहीं राष्ट्रविवादी पार्टी है। देश में जहां विवाद करना होता है वहां भाजपा के लोग सबसे आगे रहते हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ गाने के लिए नहीं है निभाने के लिए होना चाहिए। पीछे मुड़कर देखना चाहिए कि कितना निभाया जा रहा है। वंदे मातरम ने आजादी के आंदोलन में सबको जोड़ा लेकिन आज के दरारवादी लोग उसी के देश को तोड़ना चाहते है। ऐसे लोगों ने पहले भी देश के साथ दगा किया आज भी दगा कर रहे हैं।
वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूरे होने पर संसद में हुई चर्चा में भाग लेते हुए सोमवार को श्री यादव ने कहा कि जब कोलकाता के कांग्रेस के अधिवेशन में गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने पहली बार वंदे मातरम गीत गया, उसके बाद वंदे मातरम की लोकप्रियता आम लोगों में पहुंच गयी। जब क्रांतिकारियों को अंग्रेजो से लड़ना होता था तब वंदे मातरम का नारा देकर लोगों को जोड़ने का काम करते थे। स्वतंत्रता आन्दोलन हो या स्वदेशी आंदोलन। क्रांतिकारी इसी नारे को लेकर आगे चले।
वंदे मातरम के माध्यम से देश एकजुट हुआ। अंग्रेज घबरा गये। अंग्रेज जहां कहीं वंदे मातरम का नारा सुनते और देखते थे वे क्रांतिकारियों पर देशद्रोह का मुकदमा लगा देते थे। जेल भेज देते थे। बंगाल में बच्चों ने जब क्लास रूम में वंदे मातरम का गीत गया तब अंग्रेजों ने उन पर देशद्रोह का मुकदमा लगा कर जेल भेज दिया। अंग्रेजों ने 1905 से लेकर 1908 तक बैन भी कर दिया था। बैन के बाद भी हमारे क्रांतिकारी नहीं माने वंदे मातरम को अपने दिल और दिमाग में रखा। जनता के बीच इस आंदोलन को आगे बढ़ाते रहे।
अखिलेश यादव ने कहा कि आज सत्ता पक्ष हर चीज को अपना दिखाना चाहता है। इस महान गीत को बंकिम चन्द चट्टोपाध्याय ने लिखा था। लेकिन देखा जा रहा है जो महान पुरुष और जो चीज सत्ता पक्ष की नहीं है वह उसे अपनाना चाहती है। जब भाजपा का गठन हो रहा था उस समय भाजपा के चुने गए अध्यक्ष के भाषण पर चर्चा हो रही थी। चर्चा इस बात की थी कि भाजपा सेकुलर और सोशलिस्ट रास्ते पर जायेगी कि नहीं जायेगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को तमाम विरोध के बावजूद समाजवादी आन्दोलन, समाजवादी विचारधारा और सेकुलर रास्ता अपनाना पड़ा। यही नही भाजपा ने मंच पर जयप्रकाश जी की तस्वीर लगाकर भ्रम फैलाने की कोशिश की कि वह जेपी के रास्ते पर चलेगी। आज सरकार के मंत्री बताएं की वे कितने सेक्युलर और सोशलिस्ट हैं।
उन्होने कहा कि वंदे मातरम कोई दिखावा या राजनीति का विषय नहीं है। जब हम लोग बाहर सत्ता पक्ष के भाषणो और विचारों को सुनते है तो ऐसा लगता है वंदे मातरम इन्हीं का बनवाया गीत है, सच्चाई यह है कि जिन्होंने आजादी के आंदोलन में भाग ही नहीं लिया हैं वे वंदे मातरम का महत्व क्या जानेंगे।





