कांग्रेस उपाध्यक्ष ने केंद्र सरकार पर श्रम संबंधित कानूनों को जानबूझकर कमजोर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार श्रम कानूनों को कमजोर कर रही है, जिससे श्रमिक उनके सामने घुटने टेकें। उन्होंने कहा, यदि आप गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में बनाए जा रहे नए कानूनों को देखें, तो आप पाएंगे कि सरकार ने श्रमिकों पर एक बड़ा हमला शुरू कर दिया है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने दावा किया कि प्रधानमंत्री महसूस करते हैं कि श्रम कानूनों को कमजोर करने और श्रमिकों को अनुशासित करने की आवश्यकता है, जिससे उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया जा सके। राहुल ने कहा, मैं इससे सहमत नहीं हूं कि हमारे श्रमिक अनुशासनहीन हैं। हमारा श्रमिक खुद के और अपने बच्चों के भविष्य को लेकर डरा हुआ है। वह इस बात को सोचकर डरा हुआ है कि आज उसके पास जो काम है, वह कल रहेगा या नहीं। राहुल ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को श्रमिकों और उद्योगों के बीच न्यायाधीश बनना चाहिए, न कि उद्योगों के वकील की भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री श्रमिकों के मन से डर निकालने में सफल रहे, तो भारत जल्द ही चीन से आगे निकल जाएगा।
केंद्र सरकार पर राहुल ने तब हमला बोला, जब इंटक प्रमुख जी. संजीव रेड्डी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह श्रमिकों के हितों पर विभिन्न तरह से वार कर रही है। रेड्डी ने कहा कि सरकार प्रमाणन के लिए सभी दस्तावेज जमा करने के बावजूद 3़31 करोड़ सदस्यों वाले इंटक को देश के सबसे बड़े ट्रेड यूनियन संगठन के रूप में मान्यता नहीं दे रही है। राहुल ने कहा कि सरकार ने तीन बार भूमि अध्यादेश लागू कर किसानों की जमीन अधिग्रहित करने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस सांसदों ने विरोध किया और सुनिश्चित किया कि ऐसा नहीं होने पाए। उन्होंने आरोप लगाया कि अब सरकार का प्रयास श्रमिकों के सुरक्षा तंत्र को तोड़ने का है, जो कांग्रेस ने बनाया था। उन्होंने इंटक नेतृत्व को आश्वस्त किया कि वह उनके प्रतिनिधियों को लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं और मंत्रालयों में भी समायोजित करेंगे, जिससे श्रम संबंधित मुद्दों को महत्व मिल सके।
राहुल ने यह बातें कांग्रेस की ट्रेड यूनियन विंग इंटक का 31वां सत्र पूरा होने के मौके पर आयोजित सम्मेलन में कहीं। उन्होंने कहा, जैसे हमने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी, उसी तरह हम श्रमिकों के हक के लिए सरकार से लड़ेंगे।