नई दिल्ली, लोकसभा में आज विपक्ष के हंगामे के बीच बिना चर्चा के कराधान विधि (दूसरा संशोधन) विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया जिसमें कालाधन रखने वालों को एक और मौका देते हुए नोटबंदी के बाद जमा राशि की घोषणा पर कर, जुर्माना तथा अधिभार के रूप में कुल 50 प्रतिशत वसूली का प्रस्ताव किया गया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को आयकर कानून में संशोधन के लिये लोकसभा में एक विधेयक पेश किया था। यह आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2016 का और संशोधन करने वाला विधेयक धन विधेयक है। सदन में विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा, यह सार्वजनिक महत्व वाला विधेयक है। मैं चाहती थी कि इस पर विस्तार से चर्चा हो। मौजूदा स्थिति में चर्चा संभव नहीं लगती। इसलिए मैं विधेयक पर सीधे मत विभाजन करा रही हूं।
विधेयक के बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार आयकर अधिनियम में संशोधन लाई है। इसमें प्रावधान है जो लोग अपना अघोषित धन बैंक में जमा कर उसकी जानकारी देते हैं तो उन्हें 50 प्रतिशत कर, जुर्माना और अधिभार अदा करना होगा। 25 प्रतिशत राशि उन्हें तत्काल मिल जाएगी और शेष 25 प्रतिशत राशि चार साल बाद मिलेगी। जेटली ने कहा कि जो लोग गैरकानूनी तरीके से अघोषित धन रखते पाये गये उन्हें 85 प्रतिशत कर और हर्जाना देना होगा। उन्होंने कहा कि इससे सरकार को साधन मिलेंगे जिनसे विकास कार्य हो सकेंगे। प्रधानमंत्री ने इसी संबंध में गरीब कल्याण कोष की भी घोषणा की है।
विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच भर्तृहरि महताब, एनके प्रेमचंद्रन, केसी वेणुगोपाल के विभिन्न संशोधनों को नामंजूर करते हुये लोकसभा में कराधान विधि (दूसरा संशोधन) विधेयक 2016 को ध्वनिमत से मंजूरी मिल गई। विधेयक में प्रस्ताव किया है कि इस अवधि में धन जमा कराने वालों के बारे में यदि यह साबित हुआ कि उन्होंने काला धन रखा है तो उनसे अधिक ऊंची दर और कड़े जुर्माने के साथ कुल 85 प्रतिशत की दर से वसूली की जाएगी।
बीजद के भर्तृहरि महताब ने कहा कि विधेयक पर चर्चा से पहले सदन में कामकाज सुचारू होना चाहिए। उन्होंने कहा, हमारी पार्टी ने और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कालेधन पर सरकार के कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस पर सरकार जो विधेयक लाई है, उसमें कुछ सुधार की जरूरत है। पहले नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और फिर विधेयक पर विस्तार से चर्चा करानी चाहिए। इस बीच कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने व्यवस्था संबंधी कुछ प्रश्न उठाये। जिन्हें अध्यक्ष ने यह कहते हुए मंजूरी नहीं दी कि सरकार सोमवार को विधेयक पेश कर चुकी है और विधेयक को तत्काल पारित कराना आवश्यक है। उन्होंने कहा, हमें विधेयक को तत्काल पारित कराना होगा।
इस बीच कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के सदस्य विधेयक को बाद में लाने और नोटबंदी पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा पहले शुरू कराने की मांग के साथ नारेबाजी करते हुए आसन के समीप आ गये। स्पीकर ने कहा, यह सार्वजनिक महत्व वाला विधेयक है। मैं चाहती थी कि इस पर विस्तार से चर्चा हो। मौजूदा स्थिति में चर्चा संभव नहीं लगती। इसलिए मैं विधेयक पर सीधे मत विभाजन करा रही हूं। उन्होंने विपक्षी दलों से कहा, आप चर्चा नहीं चाहते। मैं कुछ नहीं कर सकती। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि विधेयक पर प्रेमचंद्रन, महताब और केसी वेणुगोपाल के कुछ संशोधनों को नियमानुसार राष्ट्रपति की स्वीकृति नहीं मिली है।
उधर विपक्षी सदस्यों की तरफ से आई किसी टिप्पणी पर वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि आसन के विरुद्ध टिप्पणी की गयी है। जो अनुचित है। विधेयक पर वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि सरकार सत्ता में आने के बाद से कालेधन पर कई कदम उठा चुकी है। उसी क्रम में गत आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य करने की घोषणा की थी। इस कदम का उद्देश्य कालेधन पर रोक लगाना और ऐसे धन को मुख्यधारा में लाना है। उन्होंने कहा कि सरकार आयकर अधिनियम में संशोधन लाई है। इसमें प्रावधान है जो लोग अपना अघोषित धन बैंक में जमा कर उसकी जानकारी देते हैं तो उन्हें 50 प्रतिशत कर, जुर्माना और अधिभार अदा करना होगा। 25 प्रतिशत राशि उन्हें वापस मिल जाएगी और शेष 25 प्रतिशत राशि चार साल बाद मिलेगी। जेटली ने कहा कि जो लोग गैरकानूनी तरीके से अघोषित धन रखते पाये गये उन्हें 85 प्रतिशत कर और हर्जाना देना होगा।
उन्होंने कहा कि इससे सरकार को साधन मिलेंगे जिनसे विकास कार्य हो सकेंगे। प्रधानमंत्री ने इसी संबंध में गरीब कल्याण कोष की भी घोषणा की है। हंगामे के बीच ही अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने विधेयक पर मत विभाजन कराया और ध्वनिमत से हंगामे के बीच ही विधेयक को पारित कर दिया गया। विधेयक पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। विधेयक में यह प्रावधान है कि घोषणा करने वालों को अपनी कुल जमा राशि का 25 प्रतिशत सरकार द्वारा लायी जा रही एक गरीबी-उन्मूलन योजना में निवेश करना होगा। पर इस योजना में लगाए गए पैसे पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। साथ ही इस राशि को चार साल तक नहीं निकाला जा सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के नोट को अमान्य करने की घोषणा के बाद यह पहल की गई है। सरकार का कहना है कि जो लोग गलत तरीके से कमाई गई राशि अपने पास 500 और 1,000 रूपये के पुराने नोट में दबाकर रखे हुए थे और जो उसकी घोषणा करने का विकल्प चुनते हैं, उन्हें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण (पीएमजीके) योजना 2016 के तहत इसका खुलासा करना होगा। उन्हें अघोषित आय का 30 प्रतिशत की दर से कर भुगतान करना होगा। इसके अलावा अघोषित आय पर 10 प्रतिशत जुर्माना लगेगा। साथ ही पीएमजीके उपकर नाम से 33 प्रतिशत अधिभार (30 प्रतिशत का 33 प्रतिशत) लगाया जाएगा। इसके अलावा, घोषणा करने वालों को अघोषित आय का 25 प्रतिशत उस योजना में लगाना होगा जिसे सरकार रिजर्व बैंक के साथ विचार कर अधिसूचित करेगी। विधेयक के उद्देश्य और कारणों के बारे में कहा गया है कि न्याय और समानता की दृष्टि से इस योजना में आयी राशि का उपयोग सिंचाई, आवास, शौचालय, बुनियादी ढांचा, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य तथा आजीविका जैसी परियोजनाओं में किया जाएगा। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार जो लोग अघोषित नकदी के साथ पकड़े जाते हैं, उन पर 60 प्रतिशत की ऊंची दर से कर और उस पर 25 प्रतिशत अधिभार लगाया जाएगा। इस प्रकार, कुल कर 85 प्रतिशत बनता है। इसके साथ यदि कर अधिकारी को उचित लगता है तो वह 10 प्रतिशत जुर्माना भी लगा सकता है। आय को कम दिखाये जाने पर 50 प्रतिशत तथा गलत जानकारी देने पर 200 प्रतिशत कर लगाने का वर्तमान प्रावधान बना रहेगा और उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है।
कराधान कानून (दूसरा संशोधन) विधेयक 2016 शीर्षक इस विधेयक के माध्यम से आयकर कानून की धारा 115बीबीई में संशोधन का प्रस्ताव करता है। यह धारा ऐसे कर्जों, निवेश, नकद धन तथा अन्य संपत्ति पर दंडात्मक कर, अधिभार तथा जुर्माने से संबंधित है जिनको लेकर कोई हिसाब और सफाई न दी जा सके। ऐसे मामलों में मौजूदा 30 प्रतिशत कर के साथ अधिभार और उपकर के प्रावधान के विपरीत ऐसे संशोधन के जरिए 60 प्रतिशत की उच्च दर से कर लगाने का प्रस्ताव किय गया है। साथ ही कर का 25 प्रतिशत अधिभार (आय का 15 प्रतिशत) देना होगा। इस प्रकार, कुल कर भार 75 प्रतिशत होगा। इसमें खर्च, कटौती आदि काटने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही आकलन अधिकारी 10 प्रतिशत अतिरिक्त जुर्माना लगा सकता है। इससे आय के बारे में जानकारी नहीं देने पर 85 प्रतिशत कर लगेगा।