”आज सुबह से ही एक सवाल जेहन में बार बार आ रहा है। जानकार मित्र कृपया प्रकाश डालें। तीन बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके पण्डित मदन मोहन मालवीय की ऐसी क्या मजबूरी थी कि बनारस विश्वविद्यालय के नामकरण में “हिन्दू” का जोड़ लगाना पड़ा? यदि मजबूरी न थी तो फिर एक सेक्युलर व प्रगतिशील सन्गठन के अगुआ का ऐसा आग्रह क्यों भला?”
फेस बुक पर सिद्धार्थ विमल की वाल से साभार