नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनाव फरवरी में ही हो सकते हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग ने लगभग तय कर लिया है कि पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा एक साथ ही की जाएगी। हालांकि इन पांच राज्यों में देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के भी शामिल होने की वजह से मतदान का सिलसिला लंबा खिंचेगा। केंद्रीय चुनाव आयोग के वरिष्ठ सूत्र बताते हैं, सभी चुनावी राज्यों के अधिकारियों को कह दिया गया है कि वे किसी भी समय चुनाव की तारीख की घोषणा के लिए तैयार रहें। चुनाव की घोषणा से पहले की तैयारियों में अब लगभग दो हफ्ते तक का समय और लगेगा। अगर यह समय से हो गया तो इसके तुरंत बाद घोषणा की जा सकती है। ऐसे में मुमकिन है कि फरवरी में मतदान करवा लिया जाए।
आयोग अब इन चुनावों में कोई देरी नहीं करना चाहता। ये विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर की विधानसभा के लिए होने हैं। इनमें से तीन राज्यों पंजाब, मणिपुर और गोवा की विधानसभा की अवधि 18 मार्च को समाप्त हो रही है। इसी तरह उत्तराखंड विधानसभा की अवधि भी मार्च महीने के अंत में ही समाप्त हो रही है। मगर उत्तर प्रदेश की मौजूदा विधानसभा 27 मई तक काम कर सकती है। यानी इनके बीच दो महीने से ज्यादा का अंतर है। लेकिन आयोग विधानसभा की अवधि समाप्त होने के छह महीने पहले तक चुनाव करवा सकता है। सूत्रों की मानी जाए तो केंद्र का भी शुरूआती रुख भी यही रहा है कि चुनाव जल्द होने चाहिए। हालांकि नोटबंदी के बाद की स्थितियों में सरकार के अंदर भी अलग अलग विचार है।
एक विचार यह है कि जल्द चुनाव की स्थिति में पाकिस्तान पर हुए सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी का फायदा मिल सकता है। लेकिन एक पक्ष मानता है कि नोटबंदी के बाद स्थिति थोड़ा सामान्य होने का इंतजार करना चाहिए। आयोग तारीखों का फैसला अपने अनुसार करता है, मगर निष्पक्ष और शांतिपूर्वक मतदान सुनिश्चित करने के लिए अर्धसैनिक बलों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उसे गृह मंत्रालय से संपर्क करना होता है। अब तक आयोग की इस संबंध में गृह मंत्रालय से कोई औपचारिक मुलाकात नहीं हुई है। अंतिम तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी खुद सभी राज्यों का दौरा कर रहे हैं। दो दिन पहले इसने पांचों चुनावी राज्यों को पत्र लिख कर कहा भी है कि वह जल्दी ही चुनाव करवाने की तैयारी में है, इसलिए वार्षिक परीक्षाओं की तारीख तय करने से पहले वे आयोग से संपर्क कर लें।
आयोग को इस बार तीनों सेनाओं, अर्धसैनिक बलों और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को पोस्टल बैलेट इंटरनेट के जरिए हासिल करने का प्रशिक्षण भी देना पड़ रहा है। यह पहला मौका होगा जब किसी विधानसभा की सभी सीटों के लिए डाक मतपत्र को इंटरनेट के जरिए भेजा जाएगा। सेवारत तीनों सेनाओं और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के साथ ही अपने चुनाव क्षेत्र से दूर सेवारत सरकारी कर्मचारियों को डाक के जरिए मतदान करने का हक होता है। इस बार इन्हें मतदान पत्र जल्द पहुंचाने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया जा रहा है, जिसका प्रिंट ले कर ये अपना मतदान कर सकेंगे। हालांकि मतदान के बाद मतपत्र वापस डाक से ही भेजे जाएंगे।