नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने गैर सरकारी संगठनों, समितियों और स्वैच्छिक संगठनों के कोष और उनके उपयोग की निगरानी के लिए कोई नियामक व्यवस्था नहीं होने के लिये आज केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने ग्रामीण विकास सचिव और ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत कापार्ट के निदेशक को आज ही अपराह्न सारे संबंधित रिकार्ड के साथ तलब किया है।
पीठ ने इन अधिकारियों से कहा है कि वे सूचित करें कि क्या 2009 के बाद इन गैर सरकारी संगठनों का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने आडिट किया है या नहीं। पीठ ने यह भी जानना चाहा है कि क्या वित्त मंत्रालय द्वारा बनाये गये 2005 के वित्तीय नियमों पर अमल हुआ है या नहीं न्यायालय स्थानीय अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इस याचिका में गैर सरकारी संगठनों को दिए गए धन और उनके द्वारा इसके उपयोग की निगरानी की व्यवस्था का अनुरोध किया गया है।