नई दिल्ली, विदेश सचिव एस जयशंकर ने बुधवार को क्षेत्रीय समूहों की वैश्विक व्यस्था में महत्ता का जिक्र करते हुए यहां दूसरे रायसीना डॉयलॉग में पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि एक देश के चलते सार्क अप्रभावी हो गया है लेकिन भारत ने सार्क के अंदर उप-समूह से इसकी भरपाई की कोशिश की है।
विदेश सचिव ने कहा कि क्षेत्रीय संगठन आज वैश्विक व्यवस्था के निर्माण का अभिन्न अंग बन गए हैं। भारत सार्क का संस्थापक सदस्य है। यह ऐसा संगठन है जो एक देश के स्वयं को असुरक्षित महसूस करने से अप्रभावी हो गया है। हमारा मानना है कि इसकी कुछ भरपाई भूटान, बांग्लादेश, भारत और नेपाल (बीबीआईएन) उप-समूह से हुई है। उन्होंने कहा कि बीआईएमएसटीसी (बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल) के उत्साह को देखते हुए लगता है कि इसे अधिक दूरगामी पहल की दिशा में मोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान भारत और रूस के संबंध और अधिक मजबूत हुए हैं। इसकी वजह दोनों देशों का शीर्ष नेतृत्व रहा है जो लगातार हर मुद्दे पर एक-दूसरे का पक्ष सुनता है और उनका सम्मान करता आया है।
विदेश सचिव जयशंकर ने आतंकवाद को विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि इसके प्रति एक गंभीर वैश्विक रुख अपनाना जरूरी हैद्य हालांकि यह मुश्किल नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण चुनौती है जिस पर कुछ सामूहिक पहल देखने को मिली हैंद्य इसे मजबूत किए जाने की जरूरत है। रायसीना डॉयलॉग के दौरान उन्होंने अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भविष्य में बेहतर संबंधों के लिहाजा भारत ट्रंप ट्रांजीशिन टीम से लगातार संपर्क में है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में दोनों देशों के संबंध और अधिक मजबूत होंगे। जयशंकर ने कहा कि वर्ष 2008 से अब तक भारत ने तकनीक और व्यापार के क्षेत्र में अभूतपूर्व ढंग से निवेश किया है। इसका फायदा भी देश के विकास में देखने को मिला है। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को यहां भारत के महत्वाकांक्षी भू-राजनीतिक सम्मेलन दूसरे रायसीना डायलॉग के उद्घाटन के मौके पर 65 देशों के 250 से अधिक प्रतिनिधियों को संबोधित किया था। इस सम्मेलन में नई चुनौतियों एवं साइबर सुरक्षा सहित कई रणनीति मुद्दों पर मंथन हो रहा है।