पटना, जेएनयू विवाद को लेकर नरेन्द्र मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार भावनात्मक मुद्दे उठा रही है। राज्य कैबिनेट की एक बैठक के बाद नीतीश ने संवाददाताओं से कहा, 2014 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बड़े बड़े दावे करने के बाद बुरी तरह से विफल रहने से वे (भाजपा और आरएसएस) असफलता को छुपाने के लिए भावनात्मक मुद्दे (जेएनयू समारोह) उठा रहे हैं।
उन्होंने बिना किसी साक्ष्य के बिहार के रहने वाले जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का आरोप लगाये जाने के लिए भी केन्द्र की निंदा की। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर उनके पास देशद्रोह के आरोप में कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी को सही ठहराने का कोई साक्ष्य है, तो वह उसको सार्वजनिक क्यों नहीं करते? उन्होंने कहाकि जेएनयू भाजपा और आरएसएस के निशाने पर है क्योंकि वहां पर ऐसे लोगों का प्रतिशत नगण्य है जो भगवा विचारधारा में यकीन रखते हैं।नीतीश कुमार ने आज कहा कि अन्य दलों के लोग भी राष्ट्रवादी हैं.. और उन्हें भाजपा या आरएसएस से राष्ट्रवाद के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।
देशद्रोह के आरोप में कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी की आलोचना करते हुये हाल ही में नीतीश ने कहा था कि आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी की विचारधारा राष्ट्र पर थोपने का बहुत हद तक नियोजित प्रयास का हिस्सा है। उन्होंने सोमवार को दावा किया था कि यह देश में आपातकाल लगाने जैसा था। वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस के साथ-साथ जदयू के वरिष्ठ नेता ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से जेएनयूएसयू अध्यक्ष के जेएनयू कार्यक्रम में भारत-विरोधी नारे लगाने और लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का समर्थन करने का साक्ष्य देने की मांग की है। बिहार के मुख्यमंत्री ने पूछा, अगर भाजपा के महासचिव राम माधव जम्मू कश्मीर में संसद पर हमला करने वाले अफजल गुरु की याद में कई कार्यक्रम आयोजित करने वाले एक निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद से मुलाकात करते हैं तो क्या यह राष्ट्रवाद का प्रदर्शन है? उन्होंने अदालत परिसर में जेएनयूएयू अध्यक्ष और मीडिया कर्मियों पर हुये हमले की भी आलोचना की।