नई दिल्ली, भारतीय राजनीति की ये विडंबना है कि राजनीतिक दल एक दूसरे के ऊपर तोहमत लगाते रहते हैं। लेकिन जब कोई संवैधानिक संस्था पार्टियों को कोई सलाह या आदेश देती है, तो राजनीतिक दलों को नागवार लगने लगता है। ताजा मामला कांग्रेस और चुनाव आयोग से जुड़ा हुआ है। चुनाव आयोग ने कांग्रेस पार्टी से कहा है कि वो अपने अध्यक्ष का चुनाव जून 2017 तक कर लें। चुनाव आयोग के इस बयान के बाद कांग्रेस में खलबली मची और कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि आयोग इस तरह के असंवैधानिक फैसले नहीं दे सकता है।
चुनाव आयोग के आदेश पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि ये पूरी तरह कांग्रेस पार्टी के संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सोनिया गांधी पार्टी की अध्यक्ष हैं। चुनाव आयोग को ये देखना होता है कि पार्टियों के अपने संवैधानिक प्रावधानों का सम्मान कर रही हैं या नहीं। कांग्रेस की मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक साल का विस्तार दिया गया है, जो कांग्रेस के संविधान के मुताबिक है, लिहाजा चुनाव आयोग किसी तरह का डेडलाइन नहीं दे सकता है। जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि ये जानकर आश्चर्य हुआ कि चुनाव आयोग 30 जून 2017 की डेडलाइन कैसे दे सकता है। जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि चुनाव आयोग का निर्देश पूरी तरह से कांग्रेस के संवैधानिक प्रक्रियाओं के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कांग्रेस कार्यकर्ता विधानसभा चुनावों में व्यस्त हैं, लिहाजा पार्टी के संगठानात्मक चुनाव करा पाना संभव नहीं हो सकेगा। वर्ष 2010 में कांग्रेस में संगठन में पदों को भरने के लिए चुनाव कराए गए थे। सोनिया गांधी वर्ष 1998 से कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वर्ष 2013 में राहुल गांधी को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया। नियमों का हवाला देते हुए कांग्रेस ने सफाई दी कि सीडब्ल्यूसी में सदस्य नामित किए जाते हैं, सीडब्ल्यूसी के लिए चुनावों की व्यवस्था नहीं है। कांग्रेस की तरफ से चुनाव आयोग को ये बताया गया कि 2015 में कांग्रेस ने संगठन चुनावों की घोषणा की लेकिन उसमें देरी हुई, जिसके बाद दिसंबर 2016 में कांग्रेस की मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया गया। लेकिन चुनाव आयोग ने कांग्रेस की दलील को ठुकराते हुए कहा कि 30 जून 2017 तक संगठन का चुनाव करा कर 15 जूलाई तक जवाब दाखिल करे।