कानपुर, भोपाल ट्रेन ब्लास्ट व लखनऊ में कानपुर निवासी आईएस आतंकी के मारे जाने के बाद से एटीएस व आर्मी लगातार कानपुर के संदिग्धों से पूछताछ कर रही है। अब तक की पूछताछ में चौंकाने वाली जानकारी मिली है कि होली से पहले आतंकी आरबीआई क्षेत्रीय कार्यालय कानपुर व आस-पास के अन्य बैंकों की मुख्य शाखाओं को उड़ाने की साजिश रच चुके थे।
मध्य प्रदेश एटीएस की पुख्ता जानकारी पर यूपी एटीएस ने कानपुर के उन सभी संदिग्धों पर नजर टेढ़ी कर दी है जो आईएस के लिए काम कर रहे हैं। सबसे पहले चकेरी थाना के संदिग्ध मो. फैसल को उस समय उठाया जब इसके साथी सैफुल्लाह के साथ लखनऊ में एटीएस की मुठभेड़ चल रही थी। फैसल की जानकारी पर लगभग आधा दर्जन संदिग्धों को उठाया गया। इस बीच आर्मी इंटेलीजेंस भी इंट्रोग्रेशन में जुट गई। आर्मी सूत्रों ने बताया कि संदिग्धों के पास एक नक्शा मिला है जिसमें कानपुर के बड़ा चौराहा स्थित आरबीआई का क्षेत्रीय कार्यालय, एसबीआई, इलाहाबाद बैंक, सेन्ट्रल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य शाखाओं का जिक्र किया गया है। आर्मी सूत्रों का यहां तक कहना है कि संदिग्धों ने इस बात को कबूला है कि नोटबंदी के बाद आतंकी संगठन आईएसआईएस काफी कमजोर हो चुका है जिसके चलते अब रेलवे के बाद अगला निशाना बैंकें थी। इसी के चलते होली के पहले आरबीआई को उड़ाने की साजिश रची गई थी। इस बात को पुख्ता करने के लिए आर्मी आरबीआई व आस-पास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने के लिए जिला प्रशासन की सहायता भी ले रही है। संदिग्धों के मुताबिक आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कानपुर में ही बैठक कर नोटबंदी की रणनीति बनाई थी। आरबीआई के आस-पास दिखता था अजहर कर्नलगंज थाना के रहमानी मार्केट निवासी अजहर एटीएस को चकमा देकर भाग निकला। आर्मी ने अजहर के विषय में अब तक जो जानकारी जुटाई है उससे यह पता चला है कि वह अक्सर बड़ा चौराहा के आस-पास घूमता था। यह भी पता चला कि अपनी मोबाइल दुकान में किसी न किसी बहाने से तमाम लोगों की आईडी रख लेता था और उन्ही के जरिए सिम यूज करता था। बताया जा रहा है कि उसका सूचना टेक्नोलॉजी में अच्छा ज्ञान है।