मुंबई, मशहूर अभिनेता व फिल्मकार रजत कपूर का कहना है कि यथार्थ की प्रस्तुति और प्रस्तुत करने के तरीकेपर ज्यादा जोर देना भारतीय सिनेमा की बदलती प्रवृत्ति है। वह जल्द ही फिल्म मंत्रा में दिखाई देंगे, जो चंदा इकट्ठा कर बनाई जा रही है। रजत भेजा फ्राई, दिल चाहता है, मानसून वेडिंग, मिडनाइट्स चिल्ड्रन, कॉपरेट और आंखों देखी जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं।
व्यावसायिक और कलात्मक सिनेमा के बीच की रेखा को लगातार धुंधला करने की कोशिश कर रहे भारतीय सिनेमा के बदलते परि²श्य के बारे में पूछे जाने पर रजत ने कहा, मेरी विनम्र राय में वर्तमान मुख्यधारा के सिनेमा में यह बहुत कॉस्मेटिक बदलाव है। इसमें कुछ चेतना उत्पादन डिजाइनिंग, यथार्थ की प्रस्तुति और प्रस्तुति के संदर्भ में आ गई है।
हालांकि, असली बदलाव से बड़ा बदलाव आता है। रजत ने सवालिया लहजे में कहा, हालांकि, हम 1980, 1990 के दशक से बेहतर फिल्में बना रहे हैं, लेकिन क्या हम 1950 के युग के रूप में फिल्में बना रहे हैं? इसके बाद हम प्यासा, देवदास, बंदिनी और गंगा जमुना जैसी पूर्ण व्यावसायिक फिल्में बना सकते हैं। क्या हम इससे अच्छी फिल्में बना सकते हैं। मंत्रा 17 मार्च को रिलीज होगी। इसमें रजत एक उद्योगपति की भूमिका में हैं।