नयी दिल्ली, सरकार ने आज कहा कि उसने देश को ऊर्जा के क्षेत्र में स्वावलंबी बनाने के लिये दीर्घकालिक लक्ष्य के कदम उठाने शुरू कर दिये हैं और 2022 तक तेल एवं गैस आयात के बिल में दस फीसदी की कमी आने की उम्मीद है। पेट्रेालियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि आज की स्थिति के अनुसार 2040 तक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा ऊर्जा खपत करने वाला देश बन जायेगा।
सरकार देश को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में दीर्घकालिक योजना पर काम कर रही है। इस समय देश की कुल तेल आवश्यकता का 80 प्रतिशत और गैस आवश्यकता का 40 प्र्रतिशत आयात किया जाता है। श्री प्रधान ने बताया कि बॉयो मास के प्रयोग के माध्यम से देश में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इथेनॉल, शहरी कचरा, कृषि अपशिष्ट, रतनजोत, गन्ने की लुगदी आदि माध्यमों से जैव ईंधन बनाने की बड़ी योजना पर काम हो रहा है।
टू जी इथेनॉल के लिये पायलट आधार पर 11 संयंत्र बनाये जा रहे हैं। दो से तीन साल में कृषि क्षेत्र से पेट्रोलियम विभाग का एक समझौता होने की संभावना है जिससे जैव ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर लक्ष्य रखा गया है कि देश की आत्रादी के 75 साल पूरे होने पर 2022 तक देश के पेट्रोलियम आयात का बिल दस प्रतिशत कम किया जाये। एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में श्री प्रधान ने बताया कि शैल गैस के मामले में भारत के पास प्रौद्योगिकी पाने की चुनौती है। भारतीय वैज्ञानिकों ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है और वे सफलता की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने हाल ही में रूस में पांच अरब डॉलर की लागत से एक तेल कुआं खरीदा है जिसमें डेढ़ करोड़ टन तेल का उत्खनन किया जा सकेगा जो सामान्य स्तर से तीनगुना होगा।