धर्मशाला, विराट कोहली के नेतृत्व में टीम इंडिया ने श्रीलंका को उसी की धरती पर साल 2015 में हराकर टेस्ट सीरीज जीत का जो सिलसिला शुरू किया था, वह अनवरत जारी है. टीम इंडिया ने अब ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराकर लगातार सातवीं सीरीज जीत दर्ज कर ली है. मंगलवार को उसने धर्मशाला में कंगारू टीम को 8 विकेट से हरा दिया. इसके साथ ही उसने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर भी कब्जा कर लिया, जो ऑस्ट्रेलिया के पास थी. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच यह सीरीज रोमांच से भरपूर रही. जहां पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने जीत दर्ज की, वहीं दूसरे टेस्ट में भारत ने वापसी की, जबकि तीसरा टेस्ट ड्रॉ रहा. ऐसे में धर्मशाला टेस्ट सीरीज के लिहाज से निर्णायक हो गया था. टीम इंडिया को सीरीज पर कब्जा करने के लिए 106 रनों की जरूरत थी, जो उसने 2 विकेट खोकर हासिल कर लिए. लोकेश राहुल और अजिंक्य रहाणे नाबाद लौटे.
लक्ष्य का पीछा करते हुए चौथे दिन भारत ने दो विकेट मुरली विजय और चेतेश्वर पुजारा के खोए. वैसे इस मैच में कप्तानी अजिंक्य रहाणे ने की. माना जा रहा था कि विराट कोहली की गैर-मौजूदगी में टीम इंडिया दबाव में आकर बिखर जाएगी, लेकिन रहाणे ने खबसूरती से टीम को लीड किया. वैसे भी इस सीरीज में विराट का बल्ला खामोश ही रहा. हालांकि उन्होंने टीम को आक्रामक नेतृत्व दिया.
टीम इंडिया ने विराट की कप्तानी में इससे पहले लगातार 6 टेस्ट सीरीज जीतीं थीं. यह सिलसिला श्रीलंका के खिलाफ साल 2015 सीरीज जीत से शुरू हुआ था. उसके बाद टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका , वेस्टइंडीज , न्यूजीलैंड , इंग्लैंड और फिर बांग्लादेश को हराया.
वैसे ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इस सीरीज में सभी अनुमानों को झुठलाते हुए शानदार प्रदर्शन किया और टीम इंडिया को जीत के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. इस मैच में भी पहले दो दिन दोनों टीमों के बीच जोरदार संघर्ष देखने को मिला था. हालांकि तीसरे दिन के खेल में टीम इंडिया पूरी तरह हावी नजर आई. ऐसा रवींद्र जडेजा के ऑलराउंड प्रदर्शन के कारण संभव हुआ. जडेजा ने 63 रन बनाने के बाद गेंद से भी धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया को बैकफुट पर धकेल दिया. इसमें तेज गेंदबाज उमेश यादव और रविचंद्रन अश्विन का भी अहम योगदान रहा.
धर्मशाला में पहली बार कोई टेस्ट मैच खेल गया, जिसे टीम इंडिया ने जीत लिया. इस मैदान पर इससे पहले 3 वनडे और 8 टी20 मैच हुए थे, जिनमें से टीम इंडिया ने तीन में से दो वनडे जीते हैं, जबकि एकमात्र टी20 में उसे दक्षिण अफ्रीका के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. ऑस्ट्रेलिया ने यहां केवल टी-20 खेला है, जिसमें न्यूजीलैंड ने उसे हरा दिया था.
रवींद्र जडेजा ने इस सीजन में गेंद के साथ-साथ बल्ले से भी कमाल दिखाया है. उन्होंने 2016-17 के सीजन में 50 से अधिक के स्कोर बनाए हैं. धर्मशाला में उन्होंने करियर की सातवीं फिफ्टी ठोकी, जो ऐसे समय आई है, जब टीम इंडिया को इसकी खासी जरूरत थी. विश्व क्रिकेट में जडेजा सहित तीन खिलाड़ी ही ऐसे हैं, जिन्होंने किसी सीजन विशेष में 500 से अधिक रन बनाने के साथ ही 50 से अधिक विकेट भी लिए हैं. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के मिचेल जॉनसन ने 2008-09 के सीजन में और भारत के ही कपिल देव ने 1979-80 के सीजन में यह कमाल किया था.
पहले दो दिन दोनों ही टीमें बराबरी पर नजर आ रहीं थीं, लेकिन तीसरे दिन मैच ने पलटा खाया और टीम इंडिया पूरी तरह हावी हो गई. भारत ने तीसरे दिन 248/6 के स्कोर से आगे खेलना शुरू किया और उसकी पारी 332 पर समाप्त हो गई. भारत ने दिन में 4 विकेट खोए. इसके बाद उसने ऑस्ट्रेलिया को 54 ओवर में ही सभी 10 विकेट लेते हुए 137 रन पर समेट दिया. ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में ग्लेन मैक्सवेल के अलावा कोई भी कंगारू बल्लेबाज टिक नहीं पाया. पहली पारी में भारत से 32 रन से पिछड़ने के बाद दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी लड़खड़ा गई. ग्लेन मैक्सवेल ने सर्वाधिक 45 रन बनाए, जिसमें 6 चौके और एक छक्का जड़ा.
मैथ्यू वेड 25 रन पर नाबाद रहे. अन्य कोई भी बल्लेबाज टिक कर नहीं खेल पाया. 6 बल्लेबाज तो दहाई अंक तक भी नहीं पहुंचे. उमेश यादव ने डेविड वॉर्नर को 6 रन पर कीपर साहा के हाथों कैच कराकर भारत को पहली सफलता दिलाई, फिर भुवनेश्वर कुमार ने पहली पारी के शतकवीर स्टीव स्मिथ को बोल्ड कर दिया. इसके बाद उमेश ने मैट रेनशॉ को पैवेलियन की राह दिखाकर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी को जोरदार झटका दिया. दूसरी पारी में पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम 137 रन पर ही सिमट गई. रवींद्र जेडजा, आर अश्विन और उमेश यादव ने तीन-तीन विकेट, तो भुवनेश्वर ने एक विकेट लिया.दिन के खेल में लंच से ठीक पहले ऑस्ट्रेलिया के पहली पारी के 300 रनों के जवाब में टीम इंडिया की पहली पारी 332 रनों पर सिमट गई. इस प्रकार टीम इंडिया को पहली पारी में 32 रनों की बढ़त मिली थी.