लखनऊ, विधान परिषद के सदस्यों के मनोनयन के लिए बन रही, सूची मे सामाजिक कार्यकर्ताओं, विचारकों और चिंतकों को स्थान दिया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, यूपी सरकार द्वारा राज्यपाल राम नाईक के पास भेजी जा रही सूची को लेकर इस बार काफी सतर्कता बरती जा रही है।
राज्यपाल राम नाईक ने विधान परिषद के मनोनयन के लिए भेजे गए सभी नामों मे से संजय सेठ, कमलेश पाठक, रणविजय सिंह, सरफराज खां, राजपाल कश्यप के नाम 28 मार्च को राज्य सरकार को नामंजूर करते हुये वापस भेज दिए थे। जिस पर अभी तक यूपी सरकार कोई निर्णय नही ले पायी और तब तक 7 अप्रैल को एक और नामित सदस्य तिलक चंद्र अहिरवार का कार्यकाल पूरा हो गया। इस तरह विधान परिषद में नामित कोटे की छह सीटें खाली हो गई हैं। राज्यपाल द्वारा आपराधिक मामलों मे लंबित होने और किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता न होने की वजह से एमएलसी सूची को मंजूरी नहीं दिये जाने के कारण, अबकी बार सदस्यों के चयन मे विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विदेश दौरे से लौटने के बाद, नामों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। विधान सभा चुनावों को ध्यान मे रखते हुये, कला, संस्कृति के साथ साथ सामाजिक संगठनों से जुड़े लोंगों को अहमियत मिलने की पूरी संभावना है। दलित प्रतिनिधित्व को ध्यान मे रखते हुये अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष डा० लालजी प्रसाद निर्मल के नाम पर सहमति बनने के संकेत हैं। अम्बेडकर विचार धारा के प्रचार प्रसार मे लालजी निर्मल के योगदान को नकारा नही जा सकता है। साथ ही दलितों के बीच समाजवादी पार्टी के दृष्टिकोण को दृढ़ता से रखने के कार्य मे डा० लालजी प्रसाद निर्मल सिद्धहस्त है। नेपाल मे चल रहे दलित आंदोलन को समर्थन दिलवाने और आंदोलन के नेता तथा वर्तमान मे नेपाल सरकार मे मंत्री विश्वेन्द्र पासवान को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जोड़कर डा० लालजी प्रसाद निर्मल ने नेपाल से लगे जिलों मे समाजवादी पार्टी को मजबूती प्रदान की है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबियों मे डा० निर्मल की गिनती है, वहीं दूसरी ओर महामहिम को भी इस नाम से कोई आपत्ति नही होगी।
सूत्रों के अनुसार, समाजसेवियों मे प्रमोद चौधरी के नाम की चर्चा है। निर्विवादित प्रमोद चौधरी, समाजसेवा के लिये राष्ट्रपति पदक से सम्मानित हैं। साथ ही लगभग एक दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित संगठनों मे सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। प्रमोद चौधरी को हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह का करीबी माना जाता हैं। अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के राष्टर्ीय महासचिव के पद पर कार्यरत प्रमोद चौधरी के द्वारा आयोजित यादव होली मिलन मे २१ साल बाद मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी ने उनके दावे को और पुख्ता कर दिया है। प्रदेश भर मे चल रहे ईंट भट्ठों की समस्याओं को लेकर दिल्ली से लेकर लखनऊ तक संघर्ष करने के कारण ईंट भट्ठा उद्योग के व्यवसाईयों मे प्रमोद चौधरी की अच्छी साख है।
संभावना है कि मनोनयन के लिए राज्य सरकार इसी सप्ताह छह नामों की सूची राजभवन को भेज देगी। नई सूची में कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया का नाम भेजा जा सकता है क्योंकि मंत्री बनने के छह माह के भीतर उनका किसी सदन का सदस्य होना जरूरी है। समाजवादी पार्टी की सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष काशीनाथ यादव का नाम भी मनोनयन की सूची में हो सकता हैं। बताया जा रहा है कि सूची लगभग फाइनल है, और इसी हफ्ते नाम भेजे जा सकते हैं।